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उप मुख्यमंत्री व वन मंत्री ने ट्राईफूड पार्क संचालन पर की विस्तृत चर्चा

📍 जगदलपुर, 12 जून (हि.स.) — बस्तर जिले के सेमरा स्थित ट्राइफेड के ट्राईफूड पार्क के संचालन को लेकर गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, गृहमंत्री एवं बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप ने फूड पार्क की कार्ययोजना, संचालन प्रणाली और स्थानीय आदिवासी उत्पादों के उपयोग पर विस्तार से चर्चा की।

🌿 ट्राईफूड परियोजना का उद्देश्य
परियोजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी वन संग्रहकर्ताओं द्वारा एकत्र लघु वनोपजों का मूल्य संवर्धन कर आदिवासी आय में वृद्धि करना है। भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सहयोग से यह परियोजना जिला प्रशासन की सहायता से क्रियान्वित की जा रही है।

🏭 ट्राईफूड पार्क की विशेषताएं
• कुल लागत: ₹8.20 करोड़
• क्षेत्रफल: 21.55 एकड़ (जिसमें 4.36 एकड़ में निर्माण)
• स्थान: सेमरा, जगदलपुर
• सुविधा: इमली, महुआ, आम, काजू, साल-बीज जैसे उत्पादों की प्रोसेसिंग, शहद, मसाले, फल आदि की यूनिटें और कोल्ड स्टोरेज।

🛠️ संचालन व सुझाव
गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्थानीय आदिवासी सहकारी समितियों के ज़रिए रॉ मटेरियल सप्लाई की व्यवस्था करने पर बल दिया। वहीं वन मंत्री केदार कश्यप ने यूनिट संचालन के लिए प्रोफेशनल टीम की आवश्यकता जताई और अन्य राज्यों के ट्राईफेड मॉडल से सीख लेकर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए।

👥 उपस्थित प्रमुख लोग
• चित्रकोट विधायक विनायक गोयल
• जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप
• पूर्व मंत्री महेश गागड़ा
• सचिव भीम सिंह
• ट्राईफेड के पूर्व एमडी प्रवीण कृष्णा
• बस्तर आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., एसपी शलभ कुमार सिन्हा
• डिप्टी जनरल ममता शर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक प्रभाकर खदाने

🔎 मशीनों का निरीक्षण और कार्य प्रारंभ की योजना
बैठक के पश्चात मंत्रीद्वय ने प्रोसेसिंग यूनिट में स्थापित मशीनों का निरीक्षण किया और कार्य प्रारंभ में तेजी लाने के निर्देश दिए। स्थानीय उत्पादों की प्रोसेसिंग हेतु आवश्यक उपकरणों को अपडेट कर कार्य में गति देने की बात कही गई।

📌 महत्वपूर्ण तथ्य
• ट्राईफेड की ट्राईफूड परियोजना से आदिवासी आय में होगा इज़ाफा।
• बस्तर में 8.20 करोड़ की लागत से बना प्रमुख फूड प्रोसेसिंग हब।
• इमली, काजू, महुआ जैसे स्थानीय उत्पादों पर आधारित प्रसंस्करण।
• स्थानीय सहकारी समितियों और प्रोफेशनल टीम से संचालन पर ज़ोर।
• जल्द ही उत्पादन, पैकेजिंग और ब्रांडिंग कार्य होंगे प्रारंभ।

यह फूड पार्क बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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