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पाकिस्तान से ‘बाल सैनिक’ के रूप में युद्ध लड़ने वाले हवलदार बलदेव सिंह का निधन

– सेना में शामिल होकर पाकिस्तान से लड़े चार युद्ध, सैन्य सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

नई दिल्ली, 07 जनवरी (हि.स.)। देश के बंटवारे के समय 1947-48 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में ‘बाल सैनिक’ के रूप में शामिल होने वाले योद्धा 93 वर्षीय हवलदार बलदेव सिंह का निधन हो गया। अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके गांव में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। सेना की व्हाइट नाइट कोर के जीओसी और सभी रैंक के अधिकारियों ने उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। राष्ट्र के लिए उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और 2021 में नरेन्द्र मोदी ने उन्हें सम्मानित किया था।

पाकिस्तान के खिलाफ चार युद्ध लड़ने वाले वयोवृद्ध सैनिक हवलदार (सेवानिवृत्त) बलदेव सिंह का 93 वर्ष की उम्र में जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के गृहनगर नौशेरा में सोमवार को उनके आवास पर निधन हो गया। पाकिस्तान के साथ युद्ध के इस महान नायक का जन्म नौनिहाल गांव में 27 सितंबर, 1931 को हुआ था। महज 16 साल की उम्र में उन्होंने 1947-48 में नौशेरा और झंगर की लड़ाई के दौरान 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में बाल सेना बल में शामिल होकर स्वेच्छा से काम किया था। बाल सेना 12 से 16 वर्ष की आयु के स्थानीय लड़कों का एक समूह था, जो पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय सेना के लिए ‘डिस्पैच रनर’ के रूप में काम करता था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने युद्ध में शामिल होने वाले बाल सैनिकों में बलदेव सिंह को सम्मानित किया था। बाल सैनिक के रूप में भाग लेने के बाद वह 14 नवंबर, 1950 को भारतीय सेना में शामिल हो गए और 29 वर्षों तक वीरता के साथ सेवा की। इस दौरान वह 1961, 1962 और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में शामिल हुए। सैन्य प्रवक्ता ने बताया कि अक्टूबर, 1969 में हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बावजूद सिंह को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वापस बुलाया गया और उन्होंने आठ महीने के लिए 11 जाट बटालियन (25 इन्फैंट्री डिवीजन) में सेवा की। अपने पूरे करियर के दौरान सिंह को उनकी सेवा के लिए कई सम्मान मिले।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवंबर, 2021 में नौशेरा की अपनी यात्रा के दौरान हवलदार बलदेव सिंह (सेवानिवृत्त) से बातचीत की। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान बाल सैनिक के रूप में हताहतों को निकाला और अग्रिम चौकियों पर आपूर्ति में मदद की थी। बाद में उन्हें सिग्नल कोर में भर्ती किया गया और 1969 में अपनी सेवा पूरी करने के बाद हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए। मोदी ने नौशेरा के नायकों ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान और नायक जदुनाथ सिंह को श्रद्धांजलि दी थी, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। सेना की व्हाइट नाइट कोर के जीओसी और सभी रैंकों ने 93 वर्षीय योद्धा हवलदार बलदेव सिंह (सेवानिवृत्त) के दुखद निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।

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