मीरजापुर, 4 नवंबर (हि.स.)। हलिया विकास खंड के गलरा गाँव में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन मंगलवार को भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा वाचक पंडित प्रभानाथ मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन लीला, महारास लीला और रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
इंद्र के अहंकार का अंत
कथा में पं. मिश्र ने बताया कि जब भगवान कृष्ण ने इंद्र पूजा बंद कराई तो इंद्र ने घनघोर वर्षा कर बृजवासियों को संकट में डाल दिया। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सात दिन तक सबकी रक्षा की। इससे इंद्र का अभिमान चूर हो गया और उन्होंने प्रभु के चरणों में क्षमा मांगी।
महारास और रुक्मिणी विवाह का वर्णन
कथा के आगे पं. मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों की महारास लीला, कंस के षड्यंत्रों के विफल होने, द्वारका नगरी की स्थापना और रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का मधुर वर्णन किया। कथा के दौरान वातावरण “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष से गूंज उठा।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
कार्यक्रम के मुख्य यजमान कृष्ण दत्त मिश्र रहे। कथा के उपरांत आरती, पूजन और प्रसाद वितरण हुआ। इस अवसर पर पंडित शिवशंकर दूबे, रमाकांत मिश्र, मुन्नू मिश्र सहित हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे और दिव्य कथा रस में डूब गए।




