साल की आखिरी अमावस्या 19 दिसंबर को, दान-पुण्य पर रहेगा जोर
जयपुर। इस वर्ष की अंतिम अमावस्या 19 दिसंबर को पड़ रही है। इसे पौष अमावस्या कहा जाता है, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यकारी और विशेष महत्व की तिथि मानी जाती है। यह दिन मुख्य रूप से पितरों के तर्पण, श्राद्ध, स्नान और दान-पुण्य के लिए समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किए गए विधिपूर्वक कर्मों से पितृ दोष शांत होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं, रोग व आर्थिक संकट दूर होते हैं।
पितरों को समर्पित है पौष अमावस्या
ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार, पौष अमावस्या पूर्णत: पितरों को समर्पित तिथि है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
पौष मास के स्वामी सूर्य देव हैं, इसलिए अमावस्या के दिन सूर्य को अर्घ्य देना और उनकी पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। इससे सुख-समृद्धि, आरोग्य और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
पौष अमावस्या का शुभ समय
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 19 दिसंबर सुबह 04:59 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 20 दिसंबर सुबह 07:12 बजे
- उदय तिथि के अनुसार मुख्य धार्मिक कार्य 19 दिसंबर को किए जाएंगे।
अमावस्या पर करें ये विशेष उपाय
- गायों को हरा चारा, गुड़ और रोटी खिलाएं
- पक्षियों को दाना डालें और छत पर पानी रखें
- पीपल वृक्ष की जड़ों में जल अर्पित करें
- संध्या समय सरसों के तेल का दीपक जलाएं
- पीपल वृक्ष की 5, 7 या 11 परिक्रमा करें
- अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र, कंबल या काले तिल का दान करें
- गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं
शास्त्रों के अनुसार पौष मास में गर्म कपड़ों का दान करने से सूर्य और शनि देव दोनों प्रसन्न होते हैं।
पितृ शांति के लिए पाठ
घर के शांत स्थान पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृ स्तोत्र या पितृ चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इससे पितृ दोष शांत होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।




