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हटिया के ऐतिहासिक पार्क में 14 लाख से बना पक्षी संरक्षण गृह, छह प्रजाति के 80 पक्षियों से माहौल हुआ खुशनुमा

कानपुर, 16मार्च (हि. स.)। प्राकृतिक सौंदर्यता को बढ़ाने में पक्षियों का बड़ा ही योगदान रहा हैं। सुबह की शुरुआत पक्षियों के चहचहाने से ही होती हैं लेकिन आजकल की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में हम इससे मेहरूम होते चले जा रहे हैं। यह बातें रविवार को कानपुर के हटिया के ऐतिहासिक पार्क में बने पक्षी संरक्षण गृह के संरक्षक विनय सिंह ने कही।

विनय ने बताया कि ऐतिहासिक रज्जन बाबू पार्क में 720 स्क्वायर फीट में पक्षी सरंक्षण गृह तैयार कराया है। आज के समय में पक्षी गुम होते जा रहे है, घर के आसपास सुबह के समय चिड़ियों की चहचहाट सुनाई नहीं देती थी। जिस पर उन्होंने प्राकृतिक सौंदर्यता को बढ़ाने के लिए वर्ष 2023 में विधायक निधि से 14 लाख की लागत में पक्षी संरक्षण गृह तैयार कराया।

उन्होंने बताया कि प्रकृति की सुंदरता से युवाओं को जोड़े रखने व बुजुर्गों के दिलों में पुराने दिनों की यादें ताजा रखने के लिए ऐतिहासिक पार्क में पक्षी संरक्षण गृह तैयार किया है। इस पक्षी संरक्षण गृह में आस्ट्रेलियन समेत करीब 6 प्रजाति के 80 पक्षी मौजूद है, जिनकी मधुर ध्वनि आसपास के लोगों की सुबह खुशनुमा बनाने का काम कर रही है। संरक्षण गृह में पाइन एप्पल, लवबर्ड, बजरी, डायमंड डक, कॉकाटिल जैसी प्रजाति के कुछ पक्षियों के जोड़े लाए गए। आज पक्षी संरक्षण गृह में 80 पक्षी है, जिनकी चहचहाट से पार्क में लोग सुकून के पलों एहसास लेते है।

सूरजमुखी बीज , काकून, चना, मौसमी फल व चना खाते हैं पक्षी

विनय सिंह ने बताया कि इन पक्षियों को सूरजमुखी के बीज, काकून, चने, मौसमी फल व मकाई दिया जाता है। जिनमें सालाना एक लाख रुपए का खर्च आता है। विनय पक्षी के रखरखाव व खाने का खर्च खुद व्यय करते है।पक्षियों के प्रजनन के लिए गृह में अलग से लकड़ी के घर भी तैयार किए गए हैं, जिनमें वह अपने बच्चों को आसानी से रखते हैं। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने व पक्षी संरक्षण गृह को हरा भरा रखने के लिए गृह में मनोकामनी व सीजनल फूलों के पौधे भी लगाने की तैयारी की जा रही है।

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