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हिमाचल प्रदेश में यूपीएस लागू करने की संभावनाओं पर मंथन शुरू

शिमला, 11 फ़रवरी (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में निगमों व बोर्डों को छोड़कर अन्य सरकारी महकमों में कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू किया जा चुका है औऱ पिछले दो सालों में 700 से ज्यादा कर्मचारियों ने सेवानिवृत्ति के बाद ओपीएस का लाभ लिया है। इसके बावजूद अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है। प्रशासनिक स्तर पर इस प्रस्ताव पर गहन मंथन शुरू हो चुका है और इसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किए जाने की संभावना है। राज्य सरकार इस बात का आकलन कर रही है कि यूपीएस लागू करने से कर्मचारियों और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

दरअसल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही ओपीएस को बहाल कर दिया था जो कि पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र की पहली गारंटी थी। हालांकि अभी तक विभिन्न बोर्डों और निगमों में इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है। इस बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को यूपीएस लागू करने को लेकर पत्र भेजा है, लेकिन सरकार ने इस पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

यूपीएस लागू होने से हिमाचल को मिलेगी 1600 करोड़ की मदद

यूनिफाइड पेंशन स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है जिसमें सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि और अंतिम वेतन के आधार पर पेंशन देने का प्रावधान है। यदि हिमाचल सरकार इस योजना को अपनाती है, तो राज्य को केंद्र से प्रतिवर्ष 1600 करोड़ रुपये की विशेष आर्थिक सहायता मिल सकती है।

वर्तमान में हिमाचल सरकार ओपीएस को लागू करने के कारण वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है। जानकारी अनुसार यदि यूपीएस को अपनाया जाता है तो इससे पेंशन पर होने वाले भारी व्यय को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा राज्य को केंद्र से मिलने वाली आर्थिक सहायता से विकास कार्यों को भी गति दी जा सकेगी।

कर्मचारी महासंघ का कड़ा विरोध

हिमाचल प्रदेश कर्मचारी महासंघ ने यूपीएस को खारिज कर दिया है और ओपीएस को बरकरार रखने की मांग की है। महासंघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर (प्रदीप गुट) ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ओपीएस को बदलने का प्रयास करती है तो कर्मचारी इसका पुरजोर विरोध करेंगे। महासंघ का तर्क है कि कर्मचारियों ने ओपीएस की बहाली के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया है और अब किसी भी नई योजना को लागू करने का कोई औचित्य नहीं है।

राजनीति गरमाने के आसार

यूपीएस लागू करने की संभावनाओं के बीच यह मामला अब सियासी तूल पकड़ सकता है। राज्य सरकार के मंत्री भी इस पर अपने-अपने बयान दे रहे हैं। पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि सरकार कर्मचारियों के हितों और राज्य की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए पेंशन योजना पर निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि जब हिमाचल में ओपीएस लागू की गई थी, उस समय यूपीएस अस्तित्व में नहीं थी। अब केंद्र सरकार की ओर से यह विकल्प सामने आया है, लिहाजा सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।

विक्रमादित्य सिंह ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश को केंद्र से अपने 9000 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मुद्दे को कई बार सार्वजनिक रूप से उठा चुके हैं। कर्मचारियों ने भी इस राशि को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

मुख्यमंत्री लेंगे अंतिम निर्णय : विक्रमादित्य सिंह

विक्रमादित्य सिंह ने कहा है कि इस पूरे मसले पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लेंगे। उनका कहना है कि वह कर्मचारियों की भावनाओं का सम्मान करेगी, लेकिन साथ ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखना जरूरी है। आने वाले दिनों में कैबिनेट बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा होगी और फिर सरकार अपना अंतिम रुख तय करेगी।

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