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भारत-नेपाल के बीच अंतर सरकारी समिति की बैठक 9-10 जनवरी को काठमांडू में

काठमांडू, 2 जनवरी (हि.स.)। भारत और नेपाल के बीच व्यापार, पारगमन और सहयोग पर अंतर-सरकारी समिति (आईजीसी) की बैठक 9-10 जनवरी को काठमांडू में आयोजित की जा रही है।

नेपाल के उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्रालय की तरफ से इस बैठक की तैयारी की जा रही है। वाणिज्य सचिव गोविंद बहादुर कार्की ने कहा कि इस अंतर सरकारी समिति की बैठक में व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच चल रही परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। आईजीसी एक नियमित बैठक है और नेपाल के पास इस बैठक के लिए कोई विशिष्ट एजेंडा नहीं है।

वाणिज्य सचिव के मुताबिक विशेषज्ञ उत्पत्ति प्रमाण पत्र (सीओओ) से संबंधित नियमों में संशोधन के लिए भारतीय प्राथमिक कृषि उत्पादों को प्रदान की गई शुल्क मुक्त पहुंच की समीक्षा सहित कई पुराने मुद्दों पर चर्चा कर सहमति जुटाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कृषि उत्पादों, बागवानी, फूलों, वन उत्पादों, चावल, दालों, आटा, गेहूं की भूसी, पशुधन, मुर्गी, मछली, शहद, डेयरी उत्पादों और अंडे के लिए पारस्परिक पहुंच की अनुमति देने की वर्तमान व्यवस्था को संशोधित करने का भी प्रस्ताव किए जाने की जानकारी दी है।

नेपाल में भारतीय कृषि उत्पादों को प्रदान की गई शुल्क मुक्त पहुंच के कारण नेपाली उत्पादन अपने ही बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नेपाल अब भारतीय कृषि उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव करने जा रहा है। इसके अलावा नेपाल की तरफ से कई नेपाली उत्पादों को भारत में निर्यात के लिए कस्टम ड्यूटी को निःशुल्क करने का भी प्रस्ताव रखा जा सकता है।

नेपाल के निजी क्षेत्र ने वाणिज्य मंत्रालय को जूट उत्पादों से लेकर बड़ी इलायची, चाय, अदरक और एंटी-डंपिंग ड्यूटी, क्वारंटाइन और खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला, एकीकृत चेक पोस्ट पर पार्किंग शुल्क पर निर्यात परेशानियों का मुद्दा उठाने का भी सुझाव दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों ने नेपाल को भारत तक अपने उत्पादों का निर्यात शुल्क शून्य तक पहुंचाने के लिए आवश्यक मूल्य संवर्धन में कमी पर बातचीत करने की भी सिफारिश की है। इस समय अधिकांश नेपाली उत्पादों पर भारत की तरफ से 30 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है। इस बार होने वाली बैठक में नेपाल की तरफ से इसे 20 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव रखने की भी जानकारी दी गई है।

भारत, नेपाल का न केवल बड़ा व्यापारिक साझेदार है बल्कि तीसरे देश के व्यापार का प्रवेश द्वार भी है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि नेपाल को अतिरिक्त भारतीय बंदरगाहों, ओडिशा में धमरा बंदरगाह और गुजरात में मुंद्रा बंदरगाह तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अपनी पारगमन संधि को संशोधित करने के लिए भी लॉबी करनी चाहिए। नेपाल ने धमरा बंदरगाह को अपनी पारगमन आवश्यकताओं के लिए प्रवेश द्वार के रूप में शामिल करने का अनुरोध किया है और मुंद्रा बंदरगाह को लेकर भी त्वरित फैसला करने का आग्रह किया है।

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