📍 कोलकाता, 11 जून (हि.स.) – हाल ही में मुम्बई में हुई दर्दनाक ट्रेन दुर्घटना के बाद रेलवे ने लोकल ट्रेनों के डिज़ाइन में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। अब मेट्रो की तर्ज पर स्वचालित दरवाज़ों वाली लोकल ट्रेनें चलाई जाएंगी, जिससे चलती ट्रेन से गिरने जैसी घटनाओं को रोका जा सकेगा।
🚆 क्या होगा नया डिज़ाइन?
- स्वचालित स्लाइडिंग दरवाज़े: स्टेशन पर रुकने पर ही दरवाज़े खुलेंगे और चढ़ने-उतरने के बाद अपने आप बंद हो जाएंगे।
- वेंटिलेशन सिस्टम: बंद दरवाज़ों के कारण दमघोंटू स्थिति न बने, इसके लिए कोच की छत पर वेंटिलेशन यूनिट लगेगी।
- खुले वेस्टिब्यूल: एक कोच से दूसरे में सुगम आवाजाही बनी रहेगी।
- नवंबर तक तैयार: डिज़ाइन तैयार करने का काम नवंबर तक पूरा होगा।
- जनवरी 2026 से शुरुआत: नए कोचों की सेवा मुंबई से शुरू की जाएगी, फिर अन्य शहरों में भी विस्तार होगा।
🚨 पृष्ठभूमि में हालिया हादसा
- सोमवार को मुम्बई के उपनगरीय इलाके में भीड़भाड़ के कारण चार लोगों की चलती ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी।
- इस घटना ने रेलवे को यात्री सुरक्षा के मुद्दे पर तेज़ निर्णय लेने को मजबूर किया।
🛠️ तकनीकी चुनौतियां और समाधान
- रेलवे इंजीनियरों के मुताबिक मेट्रो की तरह स्वचालित दरवाज़े लोकल में लगाना आसान नहीं, क्योंकि:
- भीड़ की वजह से दरवाज़ों का बंद होना बाधित हो सकता है।
- इससे ट्रेनों के संचालन में देर हो सकती है।
- डिज़ाइन बनाते समय हर व्यवहारिक समस्या का समाधान खोजने पर जोर दिया जा रहा है।
📊 लोकल ट्रेनों में भीड़ की स्थिति
- सियालदह स्टेशन से रोज़ाना 14–15 लाख यात्री सफर करते हैं।
- प्रमुख भीड़भाड़ वाले रूट:
- सियालदह–नैहाटी
- सियालदह–बनगांव
- सियालदह–डायमंड हार्बर
- सोनारपुर–कैनिंग
- बारुईपुर–नामखाना