महाकुम्भ नगर, 2 फरवरी (हि.स.)। पवित्र त्रिवेणी की धरती प्रयागराज में विश्व का सबसे बड़ा मेला महाकुम्भ जारी है। महाकुम्भ में अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन है। धर्माचार्य और ज्योतिषाचार्य अंतिम अमृत स्नान को बेहद विशेष मान रहे हैं। बसंत पंचमी और महाकुंभ अमृत स्नान का पावन शुभ योग अब कई वर्षों के बाद ही घटित होगा। ऐसे में कुछ काम ऐसे हैं, जिन्हें अंतिम अमृत स्नान के दिन करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। गौरतलब है कि, 14 और 29 जनवरी को दो अमृत स्नान हो चुके हैं। ।
महाकुम्भ का अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी कोमहाकुम्भ का अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी को है। बसंत पंचमी का त्योहार 2 फरवरी को मनाया जाएगा, लेकिन पंचमी तिथि 3 तारीख को ब्रह्म मुहूर्त में विद्यमान रहेगी। ऐसे में इसे बसंत पंचमी का अमृत स्नान भी कहा जा रहा है। पण्डित अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त का स्नान सुबह 5 बजकर 5 मिनट से लगभग 6 बजे के बीच होगा और इस समय पंचमी तिथि रहेगी।
डुबकी लगाते समय इष्टदेव का स्मरण करेअगर आप महाकुम्भ में डुबकी लगाने जा रहे हैं तो इस दिन सही विधि से आपको स्नान करने कई शुभ परिणाम मिल सकते हैं। आपको महाकुम्भ में साधु-संतों के स्नान के बाद त्रिवेणी में डुबकी लगानी चाहिए। नदी में घुटनों तक उतरने के बाद हाथ में जल लेकर आपको संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद, गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु। मंत्र का जप करते हुए 5 बार डुबकी लगानी चाहिए। याद रखें कि डुबकी लगाते समय आपको मुख सूर्य की ओर हो। डुबकी लगाते समय अपने इष्टदेव, पितृ आदि का स्मरण आपको करना चाहिए।
स्नान के बाद करे पूजा अर्चनाडुबकी लगाने के बाद किसी मंदिर एवं देवस्थल में जाकर आपको पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस तरह अगर आप महाकुम्भ के दिन अमृत स्नान करेंगे तो पाप से आप मुक्त होंगे और आपकी कई मनोकामनाएं पूरी होंगी। वहीं जो लोग महाकुम्भ में डुबकी नहीं लगा पाएंगे वो घर पर ही नहाने के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद पास के किसी मंदिर में जाकर पूजा पाठ करना भी शुभ साबित होगा।
दान पुण्य का बड़ा महत्वसनातन धर्म में दान का बड़ा महत्व है। दान करने से न केवल आपको आत्मसंतुष्टि मिलती है बल्कि देवी-देवता और पितृ भी आप पर आशीर्वाद बरसाते हैं, इसलिए अंतिम अमृत स्नान वाले दिन स्नान के बाद आपको यथासंभव दान करना चाहिए। इस दिन आप अन्न, वस्त्र, धन आदि का दान कर सकते हैं।
पितरों का तर्पण पण्डित अवधेश मिश्र शास्त्री के अनुसार, पितृ देवताओं के निमित्त इस दिन तर्पण करना भी आपके लिए शुभ साबित होगा। ऐसा करने से आपके अतृप्त पूर्वजों की आत्माएं भी शांत होंगी। साथ ही पितृ दोष से भी आपको मुक्ति मिलेगी। महाकुंभ के अमृत स्नान के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध करने के साथ ही पितरों से जुड़े मंत्रों का जप करना भी आपको लाभ दिलाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान के दौरान किया गया श्राद्ध कर्म उतना ही पुण्य फलदायक होता है, जितना पितृ पक्ष के दौरान।