महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी (हि.स.)। सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में घड़ियों की सुई जैसे ही 4.32 पर पहुंची। महाकुंभ की वैसे ही शुरूआज हो गयी। संगम क्षेत्र में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ ही माह भर का कल्पवास प्रारंभ हो गया है। संगम में स्नान के बाद श्रद्धालुओं के मुंह से हर हर गंगे, जय श्रीराम के उद्घोष पूरे वातावरण में गूंज गये। संगम में डुबकी लगाकर बाहर निकले श्रद्धालुओं के भाव तो काफी निराले थे, लगा मानों उनका ईश्वर से साक्षात्कार हो गया। इसके बाद शुरू हुआ पूजन, दान व भजन का सिलसिला। पौष पूर्णिमा पर स्नान के साथ महाकुंभ का शुभारम्भ हो गया।
गौरतलब है कि गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में आस्था का गोता भोर से लगने लगा। दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने संगम व गंगा के पावन जल में डुबकी लगाकर मनोवांछित फल प्राप्ति की कामना की। लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे हैं। पूरे दिन भर संगम तट के अलग अलग घाटों पर स्नान चलेगा। पौष पूर्णिमा पर्व पर 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान का अनुमान है। मंगलवार को मकर संक्रांति पर अमृत स्नान पर्व का अनूठा संयोग जुड़ रहा है। दोनों ही स्नान पर्वों के एक साथ पड़ने से श्रद्धालुओं में उत्साह है।
पलवल हरियाणा से स्नान के लिये आये राजेश सैनी ने कहा कि, पहली बार प्रयाग आया हूं। पवित्र संगम में स्नान के बाद लगता है जीवन धन्य हो गया है। राजेश के साथ ही संगम पहुंचे दिनेश बैसला ने कहा कि, मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि संगम में स्नान का अवसर मुझे ईश्वर नहीं दिया।
बांका बिहार से आये धर्मेन्द्र ने कहा कि, संगम पर स्नान के लिए काफी समय से सोच रहा था, महाकुम्भ में आने का अवसर मिला। पटियाला पंजाब से आयी निर्मला देवी ने कहा कि, मैंने सुना था कि संगम में स्नान से दिव्यता की अनुभूति होती है, आज स्नान के बाद मैंने उसे स्वयं अनुभव किया है।
जयपुर से आए राधा देवी पहली बार प्रयाग आयी हैं, स्नान के बाद बोलीं जो सुकून मिला है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। चेन्नई से आए पी. गुरु प्रसाद, नारायणेश्वर, चंद्रशेखरन का मत भी कुछ ऐसा था। बोले, स्नान के बाद लगता है जैसे ईश्वर से साक्षात्कार हो गया हो। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद संतों के शिविर में जाकर प्रवचन सुनकर अपना समय बिताया। अधिकतर श्रद्धालु मेला क्षेत्र में रुक गए हैं, वह मंगलवार को मकर संक्रांति का स्नान करके लौटेंगे। श्रद्धालुओं के लिए संतों के शिविर में सुबह से लेकर रात तक भंडारा चलता रहा। वहीं काफी संख्या में श्रद्धालु सगे-संबंधी कल्पवासियों के शिविर में रुके हैं।
महाकुम्भ में मेला व्यवस्था को लेकर भी श्रद्धालु संतुष्ट दिखाई दिये। पश्चिम बंगाल से आये सुनील दास ने कहा कि व्यवस्था ठीक है। कुम्भ क्षेत्र में ले आउट प्लान का डिस्प्ले स्थान स्थान पर करना चाहिए था। ले आउट प्लान ने होने की वजह से यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी हो रही है।
हरिद्वार से महाकुम्भ में आये त्रिभुवन रतूड़ी ने कहा कि, रैन बसेरों की जानकारी ने होने की वजह से श्रद्धालु रात भर इधर उधर भटकते रहे। रैन बसेरों की उद्घोषणा समय समय पर श्रद्धालुओं की जानकारी के लिये करनी चाहिए।