Mon, Jul 21, 2025
28.5 C
Gurgaon

अश्वत्थामा शापित नहीं, बल्कि सप्तर्षि हैं…!

बीते वर्ष ‘कल्कि-2898 ए.डी.’ नामक फिल्म प्रदर्शित हुई। इस काल्पनिक कथा में अमिताभ बच्चन ने अश्वत्थामा का पात्र निभाया है। साथ ही शाहिद कपूर की ‘अश्वत्थामा’ फिल्म भी निर्माणाधीन है। इन फिल्मों के माध्यम से महाभारत में खलनायक के रूप में चित्रित अश्वत्थामा एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। भारत में जब से न्यूज चैनल शुरू हुए हैं, लगभग हर हिंदी चैनल ने मध्यप्रदेश की नर्मदा नदी के किनारे या असीरगढ़ किले के मंदिर में पूजा करने वाले अश्वत्थामा पर स्टोरी दिखाई है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि महाभारत के 5000 वर्ष बाद भी यदि श्रीकृष्ण, कौरव और पांडवों के अलावा कोई सबसे चर्चित पात्र है तो वह अश्वत्थामा है। मौजूदा समय में अधिकतर लोगों को अश्वत्थामा की पहली पहचान अपने घर के बड़ों द्वारा बोले जाने वाले सप्त चिरंजीवियों के श्लोक से हुई होगी। घर के धार्मिक वातावरण वाले दादा-दादी या नाना-नानी अपने नाती-पोतों से यह श्लोक ज़रूर बुलवाते थे:-

“अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः। कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोऽपि सर्वव्याधिविवर्जितः॥”

इस श्लोक के भावानुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन इन सात चिरंजीवियों और आठवें ऋषि मार्कण्डेय का स्मरण करता है, वह दीर्घायु और रोगमुक्त रहता है। अब प्रश्न उठता है- जो स्वयं घायल है, वह दूसरों को निरोग कैसे बना सकता है? यह विचार अपने आप यह सिद्ध करता है कि अश्वत्थामा के माथे पर नासूर बनी चोट केवल एक कल्पना है। क्योंकि यदि वह सचमुच घायल होता, तो श्लोक लिखने वाला उसे चिरंजीवियों की सूची में न रखता। यह पहला तार्किक विचार है। वही गोवर्धन के क्रियायोग गुरु शैलेन्द्र शर्मा अपने गहन अध्ययन के आधार पर अश्वत्थामा की एक अलग ही कहानी बताते हैं। शास्त्रों और धर्मग्रंथों का अध्ययन करने के बाद गुरुजी ने निष्कर्ष निकाला कि अश्वत्थामा केवल सप्त चिरंजीवी नहीं, बल्कि शापमुक्त भी हैं। इतना ही नहीं, उनका नाम आधुनिक सप्तर्षियों में भी लिया गया है और वे भविष्य के व्यास भी हैं।

महाभारत में अश्वत्थामा का चरित्र प्रतिशोध और प्रायश्चित की गाथा है। महाभारत के शल्य पर्व के अनुसार, द्रोणाचार्य और कृपी ने पुत्र प्राप्ति के लिए हिमालय की तलहटी (आज के उत्तराखंड) में भगवान शिव की तपस्या की थी। द्रोणाचार्य ने शिव जैसे तेजस्वी और बलशाली पुत्र की इच्छा की थी। परिणामस्वरूप दिव्य मणि के साथ अश्वत्थामा का जन्म हुआ। जन्म लेते ही घोड़े जैसी आवाज में रोने के कारण उसका नाम ‘अश्वत्थामा’ रखा गया। शिव पुराण में अश्वत्थामा को भगवान शिव का अवतार माना गया है।

अश्वत्थामा का चरित्र करुण, रौद्र और बीभत्स रस से भरपूर है। बचपन में जब उनकी माँ कृपी ने उसे दूध की मांग पर आटे में पानी डालकर पिलाया, तब पहली बार उसकी करुण छवि दिखाई दी। महाभारत युद्ध में वह एक अपराजित योद्धा बनकर सामने आया, यह उसका रौद्र रूप था। युद्ध के अंतिम चरण में जब उसने द्रौपदी के 5 पुत्रों की हत्या की और उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्मास्त्र चलाया, तब वह बीभत्स व अमानवीय प्रतीत हुआ, लेकिन यदि हम इसकी गहराई से पड़ताल करें तो यह सब उसके पिता द्रोणाचार्य की कपट से हुई हत्या का प्रतिशोध था।

महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों ने झूठी अफवाह फैलाई कि अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर गुरु द्रोणाचार्य ने शस्त्र त्याग दिए और दृष्टद्युम्न ने उनकी हत्या कर दी। वहीं भीम द्वारा दुर्योधन को घायल करने के बाद अश्वत्थामा कौरव पक्ष का सेनापति बना। महाभारत के सौप्तिक पर्व के अनुसार, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा रात को एक पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे। वहीं एक उल्लू को उन्होंने देखा जो कौवों के बच्चों को मारकर खा गया। इससे उन्हें रात्रि में सोए हुए पांडवों के शिविर पर हमला करने का विचार आया। जब अश्वत्थामा पांडव शिविर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि स्वयं भगवान शंकर शिविर के रक्षक हैं। शिव के रूप का वर्णन महाकाल रूप में किया गया है। यहां वर्णित शिव जी व्याघ्रचर्मधारी, अनेक नेत्र और भुजाओं वाले, जिनके तेज से अनेक विष्णु प्रकट हो रहे हैं। यह दृश्य देखकर भी अश्वत्थामा रुका नहीं और शिव से युद्ध का निश्चय किया, लेकिन उसके सभी अस्त्र-शस्त्र शिव के शरीर में समा गए। इस पराजय से व्यथित होकर उसने आत्मदाह करने का निर्णय लिया। जैसे ही उसने अग्नि उत्पन्न कर उसमें कूदने की कोशिश की, स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए। शिव ने उसमें प्रवेश किया और बोले, “अब समय आ गया है, पांडवों की रक्षा का कार्य पूरा हुआ।” शिव का किसी शरीर में प्रवेश करने का यह इकलौता उल्लेखित उदाहरण है। इसके बाद अश्वत्थामा ने शिव से प्राप्त खड्ग लेकर तथा भगवान शिव के आवेश से आवेशित हो कर पांडव शिविर में प्रवेश किया और जिसको देखा उसे मार डाला।

दृष्टद्युम्न की हत्या उसने मुक्के मारकर की और द्रौपदी के पांच पुत्रों को पांडव समझकर मार डाला। इस भीषण नरसंहार का वर्णन सौप्तिक पर्व में भयावह और सारगर्भित रूप से किया गया है। पांडव और श्रीकृष्ण उस रात शिविर में नहीं थे, वे पहले ही गंगा तट पर विश्राम के लिए चले गए थे। अगली सुबह जब वे लौटे, तो ब्रह्मास्त्र चलाने और उत्तरा के गर्भ पर हमला करने की घटना हुई। उसके बाद श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा से मणि निकाल ली और उसे 3 हजार वर्षों तक अकेले भटकने का शाप दिया।

यदि तर्क के आधार पर विचार करें तो आज महाभारत को 5000 वर्ष हो गए ऐसा मानें, तो अश्वत्थामा लगभग 2000 वर्ष पूर्व ही शापमुक्त हो गया होगा। भगवान से शाप मिलने के बाद अश्वत्थामा महर्षि वेदव्यास के पास गए और उपाय पूछा। व्यास ने उन्हें रामेश्वरम् जाकर कार्तिक स्नान और शिव उपासना करने का मार्ग बताया। अश्वत्थामा ने धनुषकोटि में एक महीने तक शिव की तपस्या की और कार्तिक की अंतिम रात शिव तांडव स्तोत्र का पाठ किया और हुए भगवान शिव ने उन्हें शापमुक्त किया। वहां एक शिलालेख आज भी है जिसमें लिखा है, “यहां अश्वत्थामा शापमुक्त हुए थे।” इसके बाद वे ब्रह्मर्षि बने।

इसके बाद कि कथा हमें ब्रजभूमि में मिलती है। जहां मथुरा के पास शेरगढ़ गांव में भारद्वाज गोत्र के रेकॉर्ड कीपर रहते हैं। भारद्वाज गोत्र आज भी ब्राह्मणों का सबसे बड़ा गोत्र माना जाता है। वही शेरगढ़ के रेकॉर्ड कीपर्स के प्रमाण सुप्रीम कोर्ट तक में माने जाते हैं। इन रिकॉर्ड के अनुसार अश्वत्थामा ने शापमुक्ति के बाद 17 विवाह किए थे। वही विष्णु पुराण के अनुसार अश्वत्थामा सिर्फ चिरंजीवी ही नहीं बल्कि सप्तर्षि भी हैं और भविष्य में व्यास बनेंगे। कल्कि अवतार के समय पुराने सप्तर्षियों के स्थान पर नए सप्तर्षि होंगे- अश्वत्थामा, कृपाचार्य, परशुराम, विश्वामित्र, गालव, मार्कण्डेय और कृष्ण द्वैपायन। इसलिए “अश्वत्थामा शापित है और आज भी तेल मांगता है”- इस भ्रम में जीने की बजाय यदि हम महाभारत का सौप्तिक पर्व, स्कंद पुराण, शिव पुराण, विष्णु पुराण और भारद्वाज गोत्र का अध्ययन करें, तो स्पष्ट होता है कि अश्वत्थामा शापमुक्त हैं और भविष्य के व्यास भी। इन प्रमाणों को जानने के बाद हमारी शंकाएं दूर होती हैं और सत्य सामने आता है।

Hot this week

Archita phukan का वायरल वीडियो लिंक, क्या है नजारा?

असम की सोशल मीडिया सनसनी Archita phukan, उर्फ बेबीडॉल आर्ची, ने ‘डेम अन ग्रर’ पर बोल्ड डांस वीडियो से इंटरनेट पर धूम मचा दी। लेकिन MMS लीक और पॉर्न इंडस्ट्री की अफवाहों ने विवाद खड़ा कर दिया। वीडियो में क्या है नजारा, और क्या है सच?

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...
spot_img

Related Articles

Popular Categories