📍 वाराणसी, 6 जून (हि.स.)
धर्म नगरी काशी में निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर शुक्रवार को श्री काशी विश्वनाथ की 27वीं वार्षिक कलश यात्रा तिरंगे के साथ निकाली गई। यह यात्रा ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना के शौर्य को समर्पित रही, जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यात्रा के माध्यम से चिनाब, झेलम, रावी और सिंधु जैसी पवित्र नदियों के साथ काशी, हरिद्वार, ऋषिकेश और त्रिवेणी संगम का जल बाबा विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग को अर्पित किया गया।
🔶 गंगा घाट से शुरूआत
कलश यात्रा की शुरूआत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद घाट से हुई। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वैदिक ब्राह्मणों ने सभी कलशों का विधिवत पूजन किया। भक्तगण पारंपरिक परिधानों में ‘हर हर महादेव’ के जयघोष के साथ गंगा तट से बाबा विश्वनाथ मंदिर की ओर प्रस्थान किए।
🛑 आस्था और देशभक्ति का संगम
इस बार की यात्रा ऑपरेशन सिंदूर के प्रति श्रद्धांजलि थी। लद्दाख से सिंधु नदी, कैलाश मानसरोवर से जल, चिनाब व झेलम नदियों का जल तथा काशी की गंगा, प्रयागराज की त्रिवेणी और ऋषिकेश का जल बाबा के अभिषेक के लिए कलशों में भरा गया था। तिरंगा लेकर श्रद्धालुओं ने सेना के अजेय रहने की कामना की।
🎉 भव्य झांकी और आयोजन
यात्रा में पीएसी बैंड, डमरू दल, शंखनाद करने वाला दल, भजन मंडली, नंदी पर सवार शिव-पार्वती की झांकी और भगवान गणेश का विग्रह प्रमुख आकर्षण रहे। मार्ग में जगह-जगह सामाजिक संस्थाओं ने अमरस, नींबू शरबत और शीतल जल से सेवा शिविर लगाए।
📜 विशेष उपस्थिति और श्रद्धा
यात्रा में पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पदाधिकारी, उद्योगपति केशव जालान, निधि देव अग्रवाल, सुरेश तुलस्यान, पवन चौधरी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। रथ पर यात्रा के संस्थापक स्व. राजकिशोर गुप्ता व पूर्व अध्यक्ष स्व. जगदम्बा तुलस्यान के तैलचित्र भी विराजमान थे।
📌 निष्कर्ष:
वार्षिक कलश यात्रा केवल धार्मिक नहीं, अपितु राष्ट्रीय एकता और बलिदान की भावना से भी ओतप्रोत थी। यह यात्रा भक्तों में श्रद्धा, संयम और राष्ट्रभक्ति का संचार करने वाली ऐतिहासिक पहल बन गई है, जो आने वाले वर्षों तक इसी गौरव के साथ जारी रहेगी।