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शुभेंदु अधिकारी का दावा : आरजी कर की घटना स्वतंत्र भारत में बंगाल का सबसे काला अध्याय

कोलकाता, 25 फरवरी (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इसे स्वतंत्र भारत में बंगाल का “सबसे काला अध्याय” करार दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार न्याय दिलाने में पूरी तरह विफल रही है।

शुभेंदु अधिकारी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “आर.जी. कर बलात्कार मामला स्वतंत्र भारत में पश्चिम बंगाल का सबसे काला अध्याय है।”

उन्होंने पोस्ट की शुरुआत और अंत में #हमें_न्याय_चाहिए लिखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की। उनके इस पोस्ट को मंगलवार सुबह पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने भी साझा किया।

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“डॉक्टरों को नहीं मिला न्याय, सरकार कर रही राजनीति”

पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने आरोप लगाया कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की पीड़िता को अब तक न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पीड़िता अभया के माता-पिता हर दिन अदालत के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सरकार चुप है। इस बीच, मुख्यमंत्री ने सरकारी डॉक्टरों के वेतन में वृद्धि की घोषणा की, जिसे उन्होंने डॉक्टरों के आंदोलन को कमजोर करने की “सुनियोजित योजना” बताया।

तथागत रॉय ने कहा, “राज्य में सरकारी डॉक्टर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है। मुख्यमंत्री को यह चिंता नहीं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, लेकिन उन्हें यह चिंता जरूर है कि यह मामला उनकी सरकार की छवि पर असर डाल सकता है। यही वजह है कि उन्होंने मामूली वेतन वृद्धि की घोषणा कर दी, जो अन्य भाजपा शासित राज्यों की तुलना में काफी कम है।”

रॉय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने सरकारी डॉक्टरों को जबरन उनके चिकित्सकीय कार्य से हटाकर बैठक में बुलाया। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने एक व्यस्त कार्यदिवस में बैठक आयोजित कर डॉक्टरों को मरीजों की सेवा से रोक दिया, ताकि वे उनका भाषण सुन सकें। क्या यह प्रशासनिक अनुशासन है?”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेजों में “फेस्ट” आयोजित करने के लिए दो करोड़ रुपये का अनुदान दिया है, जबकि छात्र परिषद चुनाव वर्षों से नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार की प्राथमिकता महोत्सव आयोजित करना है, लेकिन मरीजों की दवाएं और जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में असफल है।”

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