चेन्नई, 27 मार्च (हि.स.)। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में विधेयक को वापस लेने की मांग की गई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि इससे वक्फ बोर्ड की शक्तियां कमजोर होंगी और मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत होंगी।
विधानसभा सत्र के दौरान स्टालिन ने मौजूदा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के केंद्र सरकार के प्रयास की आलोचना करते हुए कहा कि प्रस्तावित बदलाव वक्फ बोर्ड के कामकाज में बाधा डालेंगे। उन्होंने केंद्र पर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं की अनदेखी करने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया।
विस में पेश किए गए इस प्रस्ताव में कहा गया है, “भारत में लोग धार्मिक सद्भाव के साथ रह रहे हैं। संविधान ने सभी लोगों को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है। चुनी हुई सरकारों को इसे संरक्षित करने का अधिकार है। विधानसभा सर्वसम्मति से इस बात पर जोर देती है कि केंद्र सरकार को वक्फ अधिनियम 1995 के लिए वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को वापस लेना चाहिए, जो अल्पसंख्यक मुसलमानों को बुरी तरह प्रभावित करेगा।” प्रस्ताव का
(विदुथलाई चिरुथैगल काची) वीसीके और वामपंथी दलों सहित द्रविड़ मुनेत्र कड़गम(डीएमके) के सहयोगियों ने स्वागत किया है।
हालांकि, भाजपा विधायक वनथी श्रीनिवासन ने प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि प्रस्तावित संशोधन वक्फ संपत्तियों के बेहतर नियमन के लिए आवश्यक थे और विधेयक का विरोध राजनीति से प्रेरित है। विधानसभा में हुई बहस ने अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक शासन से संबंधित मुद्दों पर सत्तारूढ़ द्रमुक और भाजपा के बीच चल रहे विरोध और तनाव को भी उजागर किया है।
एआईएडीएमके के राष्ट्रीय प्रवक्ता कोवई सत्यन ने कहा, ऐसा लगता है कि द्रमुक धर्म और भाषा के आधार पर एक आख्यान स्थापित करने की जल्दी में है। सत्यन ने कहा, “ऐसा लगता है कि द्रमुक धर्म, भाषा के आधार पर एक आख्यान स्थापित करने की जल्दी में है…यहां मुद्दा यह है कि जेपीसी थी और जेपीसी का नतीजा क्या रहा, जिन दलों के सदस्य जेपीसी में हैं, वे न्यायपालिका में वक्फ को चुनौती क्यों नहीं दे रहे हैं?…विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की इतनी जल्दी क्यों है?…वोट बैंक की राजनीति के लिए लोगों को भड़काने की कोशिश करना बेहद निंदनीय है”।