जोधपुर, 17 फरवरी (हि.स.)। आईआईटी जोधपुर में सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक, आर्ट्स एंड कल्चर अमंग यूथ के सहयोग से भारत की समृद्ध कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत के जीवंत उत्सव, विरासत 2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। पांच दिवसीय इस उत्सव में प्रसिद्ध कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों से कला और संगीत प्रेमियों को एक अनूठा अनुभव प्राप्त हुआ।
उत्सव की शुरुआत डॉ. किरण सेठ के प्रेरक भाषण से हुई। अपने संबोधन में डॉ. सेठ ने व्यक्तिगत और व्यावसायिक उत्कृष्टता पर शास्त्रीय कला और संगीत के गहन प्रभाव पर जोर दिया, आंतरिक शांति, अनुशासन और सद्भाव को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उत्सव के दौरान दर्शकों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कुछ सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां देखी। पंडित उल्हास कशालकर, अरुणा मोहंती, विद्वान डी. बालकृष्ण, उस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर और उस्ताद शाहिद परवेज़ खान ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की जीवंतता को बढ़ाते हुए, हमीरा मंगनियार ग्रुप ने राजस्थानी लोक संगीत की एक शानदार प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को राजस्थान की संगीत परंपराओं की गहराई से अवगत कराया। हिंदुस्तानी और कर्नाटक से लेकर लोक एवं शास्त्रीय नृत्य की विविध शैलियों के मिश्रण ने भारत की सांस्कृतिक विरासत की विशालता को उजागर किया।
विरासत 2025 को आईआईटी जोधपुर समुदाय से उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रस्तुतियों की सराहना की। संस्थान परिसर के अतिरिक्त जोधपुर से कई शास्त्रीय संगीत और नृत्य कलाओं में रूचि रखने वालों ने उत्सव में भाग लिया, जिससे यह वास्तव में समावेशी और शहर-व्यापी सांस्कृतिक उत्सव बन गया। आईआईटी निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने विरासत 2025 की शानदार सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आईआईटी जोधपुर भारत की समृद्ध कलात्मक परंपराओं को बढ़ावा देने और युवाओं को शास्त्रीय विरासत की गहराई एवं सुंदरता से अवगत कराने के लिए प्रतिबद्ध है।