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मप्र में आज से शुरू होगा वन्य-जीव पर्यटन अभियान, मुख्यमंत्री करेंगे चंबल अभयारण्य का भ्रमण

भोपाल, 4 जनवरी (हि.स.)। मध्य प्रदेश वन्य जीव पर्यटन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। इसी के तहत आज (शनिवार) से यहां वन्य जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत होने जा रही है। इस अभियान के तहत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव चंबल अभयारण्य का भ्रमण कर चंबल नदी के घड़ियाल अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर पर्यटन सुविधाओं का जायजा लेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि प्रकृति ने मध्य प्रदेश को कई वरदान दिए हैं। सघन वन, वृक्षों की विविधता के साथ ही वन्य-प्राणियों की भी विविधता मध्य प्रदेश में देखने को मिलती है। वनों और वन्य-प्राणियों से मध्य प्रदेश की एक अलग पहचान बनी है। मध्य प्रदेश बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसे प्राणियों की सर्वाधिक संख्या वाला प्रदेश है। चीता पुनर्स्थापन करने वाला मध्य प्रदेश एक मात्र प्रदेश है।

उन्होंने कहा कि देश में ही नहीं पूरे विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व में लगभग तीन हजार घड़ियाल हैं, तो इनमें से 85 प्रतिशत चंबल नदी में हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह अभयारण्य लगभग साढ़े पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पहाड़ियों और रेतीले समुद्र तटों की तरह चंबल नदी के तटों से यह धरती भरी हुई है। यह वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है और इसका मुख्यालय मुरैना में है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है। शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है। राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियाँ होती हैं। घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है। यहाँ की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है। चंबल नदी लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी है। पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं।

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