पाली, 23 जनवरी (हि.स.)। जिले के जाडन गांव में चाय बनाती एक महिला अचानक अचेत हो गई। परिजन हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन उसे घर ले गए। वहां उसकी सांस चलने लगी। परिजन आनन-फानन में महिला को दोबारा हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने दोबारा उसे मृत घोषित कर दिया।
मृतका के रिश्तेदार दलाराम ने बताया कि जाडन निवासी रिश्तेदार केवलचंद की पत्नी गुड्डी (25) मिट्टी के चूल्हे पर चाय बना रही थी। चाय बनाते वह बैठे-बैठे ही लुढ़क गई। परिजन उसे जाडन हॉस्पिटल ले गए। जहां उसे ड्यूटी डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
घर में कोहराम मच गया। गुड्डी 25 साल की थी। तीन महीने पहले उसने बेटी को जन्म दिया था। उसकी अचानक मौत से परिवार में मातम पसर गया। मौत के बाद सारी रस्में की जाने लगी। अंतिम संस्कार से पहले दोपहर में महिलाएं मृतका को स्नान कराने की रस्म कर रही थी।
इस दौरान एक महिला ने कहा कि गुड्डी की सांसें चल रही हैं। सभी महिलाओं ने चेक किया तो गुड्डी सांस ले रही थी। महिलाओं ने घर के पुरुषों को यह बात बताई। पति केवलचंद ने चेक किया तो बात सच थी। परिजन गुड्डी को लेकर दोपहर में ही पाली के बांगड़ हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।
घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस भी हॉस्पिटल पहुंची और परिजनों से मामले की जानकारी ली।
बांगड़ हॉस्पिटल के डॉक्टर रोयमोन जोसफ ने बताया कि जब मरीज को यहां लाया गया, तब वह मृत थी।
रिश्तेदार दलाराम ने बताया कि गुड्डी ने तीन महीने पहले ही बेटी को जन्म दिया था। उसके एक पांच साल की बेटी गुंजन और चार साल का लड़का भी है। मृतका का पति केवलचंद मजदूरी करता है। केवलचंद और गुड्डी की शादी करीब सात साल पहले हुई थी।
झुंझुनूं में भी दाे महीने पहले ऐसा ही वाक्या हुआ था। वहां मां सेवा संस्थान के बगड़ स्थित आश्रय गृह में रहने वाले रोहिताश (25) की तबीयत बिगड़ गई थी। रोहिताश अनाथ और मूकबधिर था। रोहिताश को तबीयत बिगड़ने पर झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद शव को एंबुलेंस से श्मशान घाट ले जाया गया था। यहां रोहिताश की बॉडी को चिता पर रखा तो उसकी सांस चलने लगी और शरीर हिलने लगा। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग डर गए। इसके बाद तुरंत एंबुलेंस बुलाकर रोहिताश को अस्पताल ले गए।
उसे आईसीयू वार्ड भर्ती किया गया लेकिन जान नहीं बची। इस मामले में जिला कलेक्टर ने बीडीके हॉस्पिटल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सहित तीन डॉक्टर्स को निलंबित कर दिया था। मामले में युवक को बिना चेक किए ही डेड घोषित कर दिया गया था।