चार मिली मीटर के बार्डर में लगभग 51 हजार बार ब्रश के एक बाल से राम नाम लिखा
महाकुम्भ नगर, 27 जनवरी (हि.स.)। संगम की धरती पर लगा विश्व का सबसे बड़े मेला महाकुम्भ आध्यात्मिक आयोजनों, नदियों के संगम का प्रतीक ही नहीं, बल्कि यह परंपराओं, संस्कृतियों और कलात्मक अभिव्यक्तियों का भी अद्भुत संगम है। ऐसी ही अद्भुत कला का दर्शन आप निरंजनी अखाड़ा के मुख्य द्वार पर लगी श्रीराम सरोवर प्रदर्शनी में कर सकते हैं। यहां प्रदर्शित श्रीरामसरोवर पेंटिंग में करीब 20 लाख चित्रों को समाहित किया गया है। जब आप इस पेंटिंग को देखेंगे तो आपको सहज ही इस बात का अहसास होगा कि कलाकार किस तरह अपने हुनर से घटनाओं और प्रसंगों को अपने चित्रों के माध्यम से एक संपूर्ण कथा के तौर चित्रित करता है। आपको ऐसा लगेगा कि मानस का मंचन आपके समक्ष हो रहा है। आप मानस को चित्रों के माध्यम से पढ़ और समझ रहे हैं।
छह वर्षों में तैयार हुई पेंटिंग
श्रीराम सरोवर के रचियता राष्ट्रपति पुरस्कार धारक नवीन शर्मा ने बताया कि, अति लघु चित्रकारी के जरिए हैंड मेड पेपर पर रामचरित मानस को चित्रों में उतारा गया है। इस पेंटिंग को बनाने में करीब छह वर्ष का समय लगा। 2017 में इस कृति को बनाने की शुरुआत की थी। पूर्णता 2024 में मिली। यही वजह है कि महाकुम्भ में इसे लेकर आए हैं, जिससे आम जन भी राम की अनुपम छटा को निहार सकें।
20 लाख कृतियां समाहित
शर्मा ने बताया कि, मानस पेंटिंग को बनाने में कुल 7600 घंटे से अधिक समय लगा। 24 गुणा 31.5 इंच की 20 लाख कृतियां इसमें समाहित हैं। इन्हें बनाने के लिए पहले पेंसिल से स्केच तैयार किया गया, फिर वाटर स्टोन कलर भरे गए। इसे कैमिकल लैमिनेट किया गया है। करीब हजार साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बतायाकि, पेटिंग बनाने से पूर्व मैंने कई बार रामचरितमानस का अध्ययन किया। इसके लिए मैंने धर्माचार्यों, मानस मर्मज्ञों एवं धर्म के जानकारों से विमर्श किया। वो कहते हैं, भगवान राम की ही प्रेरणा और आशीर्वाद से ये काम पूरा हो सका है।
सबसे ऊपर अंकित हैं गणेशजी
वे आगे बताते हैं कि, मानस पेंटिंग में जैसे गोस्वामी तुलसी दास ने सब से पहले गणेश वंदना की है, उसी तरह सबसे उपर गणेश जी, रिद्धि सिद्धि को अंकित किया गया। ठीक नीचे राम मंदिर के सामने विशाल भक्तगण समूह व गोलाकार में रामलला का प्राचीन विग्रह चित्रित है।
24 तीर्थंकर और 211 प्रसिद्ध मन्दिर चित्रित
पेंटिंग में सवा दो इंच के बार्डर में भक्तगणों सहित भगवान विष्णु के दशावतार सहित 24 तीर्थंकर अंकित हैं। कामधेनु तथा मां दुर्गा के नौ रूप भी सुशोभित हो रहे हैं। कृति में भारतवर्ष के 211 प्रसिद्ध मंदिरों को चित्रित किया गया है।
ब्रश के एक बाल से 51 हजार बार राम
नवीन शर्मा बताते हैं कि, श्री राम सरोवर पेटिंग एक मिलीमीटर, दो मिलीमीटर, तीन मिली मीटर और चार मिली मीटर के बार्डर में लगभग 51 हजार बार ब्रश के एक बाल से राम नाम लिखा गया है। पेटिंग के मध्य में सीता स्वयंवर का विशाल दृश्य एवं प्रभु श्री राम द्वारा शिवजी के धनुष को खंडित करने के प्रसंग को भी दिखाया गया है। राम दरबार का विशाल दृश्य एवं इस दृश्य के चारों तरफ वाली आधा इंच की बॉर्डर में 31 प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों की प्रतिमाओं को उकेरा गया है। कृति के चारों कोनों में चारों युगों के मंदिरों का भी चित्रण है।
शर्मा ने बतायाकि, इस पेटिंग को लेकर भविष्य की कई योजनाएं हैं। जिसमें अयोध्याधाम में डिजिटल प्रदर्शनी मुख्य है। शर्मा कहते हैं कि, यह मानव का उद्धार करने वाली कृति है। जो मानस नहीं पढ़ सकते, वह इसका दर्शन करके उसका लाभ उठा सकते हैं। शर्मा कहते हैं कि, इस पेंटिंग को सरकार का संरक्षण मिलना चाहिए। क्योंकि ये सिर्फ पेंटिंग नहीं है, सनातन संस्कृति की अनमोल धरोहर है। जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों और परमवैभव से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी।
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी, निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के महासचिव चंपत राय एवं गणमान्य व्यक्तियों ने पेंटिंग को सराहा है।