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उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा में बड़ा बदलाव, प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक नए विषय शामिल

देहरादून, 3 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप नया स्वरूप दिया जा रहा है। अब प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर छात्रों को अधिक विषयों का अध्ययन करना होगा। राज्य पाठ्यचर्या की स्टीयरिंग कमेटी ने इस ड्राफ्ट को अनुमोदित कर दिया है, जिसे अंतिम स्वीकृति के लिए शासन को भेजने की तैयारी है।

ननूरखेड़ा स्थित सभागार में अपर निदेशक एससीईआरटी प्रदीप रावत की अध्यक्षता में राज्य पाठ्यचर्या का ड्राफ्ट स्टीयरिंग कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

अनुमोदित ड्राफ्ट के अनुसार, प्राथमिक स्तर पर अब तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को सात विषय पढ़ाए जाएंगे। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, हमारे चारों ओर का संसार, कला शिक्षा और शारीरिक शिक्षा शामिल हैं। इससे पहले इन कक्षाओं में केवल हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, पर्यावरण और गणित की पढ़ाई होती थी।

इसी प्रकार उच्च प्राथमिक स्तर पर छठी से आठवीं कक्षा तक उच्च प्राथमिक स्तर पर कुल नौ विषयों को शामिल किया गया है। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य, और व्यावसायिक शिक्षा प्रमुख हैं। इसके अलावा, छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से भी पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी, जिससे अनुपस्थित रहने पर उनकी शिक्षा बाधित न हो।

नौवीं व 10वीं कक्षा में गणित अनिवार्य स्कूल शिक्षा के तहत नौवीं व 10वीं में गणित विषय अनिवार्य किया गया है, लेकिन इसका मूल्यांकन सामान्य और उच्च स्तर पर किया जाएगा। जो छात्र गणित का सामान्य अध्ययन करना चाहते हैं, उनका मूल्यांकन सामान्य स्तर पर किया जाएगा, ताकि गणित में कम रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को गणित बोझ न लगे।

नौवीं व 10वीं कक्षा में 10 विषय हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य, अंतर विषयक क्षेत्र की शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा शामिल किए गए हैं।

11वीं व 12वीं कक्षा में उत्तराखंड बोर्ड की ओर से वर्तमान में संचालित सभी विषयों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप नए विषय समूह के अनुरूप अध्ययन का विकल्प यथावत रहेगा।

स्कूल समय भौगोलिक विषमता के अनुरूप विद्यालय का समय व समय विभाजन चक्र प्रदेश की भौगोलिक विषमता के अनुरूप बनाया जा सकेगा। विकासखंड स्तर पर विद्यालय खुलने व बंद होने का समय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होगा। लेकिन, विद्यालय में पठन-पाठन के लिए निर्धारित समय में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी।

विद्यालय शिक्षा के पाठ्यक्रम में पहली बार व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ा गया है, ताकि शिक्षा रोजगारपरक हो और उन्हें करियर बनने में साहयता मिल सके। रटने की प्रणाली की जगह समझ आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है। शिक्षकों की क्षमता संवर्द्धन के लिए सेवारत प्रशिक्षण के माध्यम से 50 घंटे का सतत व्यावसायिक विकास किया जाएगा। व्यावसायिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को समाहित किया गया है। इसके अलावा स्थानीय व्यवसायों की संभावना को देखते हुए पाठ्यक्रम में मशरूम उत्पादन, डेरी, कुक्कुट पालन, हेरिटेज टूर गाइड, ब्यूटी थेरेपिस्ट, मृदा एवं जल परीक्षण प्रयोगशाला, सहायक, बागवानी, फूलों की खेती, भेड़-बकरी पालन, बेकरी आदि शामिल किए गए हैं।

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