महाकुम्भनगर,09 फरवरी (हि.स.)। विश्व हिन्दू परिषद ने जनसंख्या असंतुलन, परिवारों में विखंडन और नशाखोरी रोकने के लिये हिन्दू युवाओं का आह्वान किया है। प्रयागराज महाकुम्भ में चल रही विश्व हिन्दू परिषद की प्रन्यासी मण्डल की बैठक में जनसंख्या असंतुलन व युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए प्रस्ताव पास किया गया है। प्रन्यासी मण्डल की बैठक में बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक नीरज दौनेरिया ने प्रस्ताव रखा और दुर्गा वाहिनी की राष्ट्रीय संयोजिका प्रज्ञा महाला ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद एकमत से प्रस्ताव पास किया गया।
पारित प्रस्ताव में विहिप ने सचेत किया है कि यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाला गया तो यह हिन्दू समाज की स्थिरता और अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। प्रन्यासी मण्डल व प्रबंध समिति यह आह्वान करती है कि इन चुनौतियों का सामने करने व उनको परास्त करने के लिए हिन्दू युवाओं को तत्पर होना पड़ेगा। देश के सामने जब भी चुनौति आई है, युवा शक्ति ने ही उन्हें परास्त किया है।
जनसंख्या असंतुलन हिन्दू समाज के अस्तित्व के लिए घातक
जनसंख्या असंतुलन हिन्दू समाज के अस्तित्व के लिए घातक सिध्द होता जा रहा है। 1951 में भारत में हिन्दुओं की जनसंख्या 84 प्रतिशत थी जो अब मटकर 78 प्रतिशत रह गई है। हिन्दुओं की औसत प्रजनन दर 1.9 हो गई है जो जनसंख्या स्थिरता की दर 2.1 से भी कम है। मुस्लिम समाज की जन्म दर हिन्दुओं से कहीं अधिक बनी हुई है। देरी से विवाह के कारण हिन्दू दम्पतियों के बच्चे कम हो रहे हैं। यदि यही प्रवृत्ति लगातार बनी रही तो आने वाले 50 वर्षों में भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो सकते हैं।
प्रस्ताव में विहिप ने लिखा है कि यदि बच्चों का सम्पूर्ण विकास करना है तो प्रत्येक परिवार में दो या तीन बच्चे अवश्य होने चाहिए। इस परिस्थिति से बचने के लिए हिंदू युवाओं को 25 वर्ष की उम्र में विवाह करना आज की आवश्यकता है।
हिन्दू संस्कारों पर आधारित परिवार व्यवस्था
हिन्दू संस्कारों पर आधारित परिवार व्यवस्था ही सुखी जीवन को सुनिक्षित कर सकती है। पश्चिमी भौतिकवाद, अर्बन नक्सल पथी एवं ग्लोबल कॉर्पोरेट समूह युवाओं को अमित एवम् संस्कविहीन करने का निरंतर षड्यंत्र कर रहे हैं परम्पराओं की निरन्तर उपेक्षा की जा रही है। हिन्दू परिवारों को हिन्दू संस्कृति से विहीन करने का प्रयास किया जा रहा है। परिवार विखंडित हो रहें हैं, बच्चों व बुजुर्गों के सामने सामाजिक सुरक्षा का अभाव उत्पन्न हो रहा है। विवाह संस्था जो सुदृढ़ समाज का आधार है, वह खतरे में पड़ रहा है। परिवारों के प्रति असंतुलित चिन्तन के कारण ही विवाहेत्तर सम्बन्ध, लिव-इन सम्बन्ध व असीमित भोग के कई प्रकारों के प्रति आत्मघाती आकर्षण बढ़ रहा है।
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृति घातक
विहिप ने पारित प्रस्ताव में कहा है कि युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृति एक गम्भीर संकट के रूप में देश के सामने आ रही है। नशे के कारण समाज में अपराध, बेरोजगारी और पारिवारिक विघटन की घटनायें भी बढ़ रही है। इस षड्यंत्र में विदेशी आतंकवादी, अन्तर्राष्ट्रीय इग माफिया और भारत के कई माफिया समूह संगठित रूप से सम्मिलित है।
विहिप ने कहा है कि भारत की केंद्र व राज्य सरकारें, हिन्दू समाज व राष्ट्र के समक्ष उपस्थित इस गंभीर विषय की गंभीरता को समझें तथा इसको दूर करने के लिए अविलंब उपयुक्त कदम उठायें। नशे के व्यापार में लिप्त इस अपवित्र गठजोड़ पर कठोर नियंत्रण करें।