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जम्मू कश्मीर के बटुकों ने महाकुम्भ में लगाई आस्था की डुबकी

-आधुनिक विज्ञान भी अब महाकुम्भ ओर देख रहा है : स्वामी अधोक्षजानंद

महाकुम्भ नगर, 10 फरवरी (हि.स.)। सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व महाकुम्भ में जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले की विश्वस्थली से चूड़ामणि संस्कृत संस्थान विश्वस्थली के बटुकों ने शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ के सानिध्य में सनातन धर्म परंपरा से जड़ित आस्था की डुबकी लगाई।

इस अवसर पर सभी बटुक, आचार्य एवं प्रबंधन समिति सदस्य पुरी गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ के साथ राष्ट्र उत्थान, आत्मशुद्धि एवं गुरुकुल का उत्थान सहित विश्व कल्याण की भावना से महाकुम्भ स्नान में सहभागी बने। इस दौरान स्वामीजी ने महाकुम्भ का वैज्ञानिक महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि आधुनिक विज्ञान भी अब महाकुम्भ ओर देख रहा है। वैज्ञानिकों ने हमारे शास्त्रीय प्रमाण को सिद्ध करते हुए कहा भूमध्य रेखा यानी शून्य डिग्री अक्षांश और तीस डिग्री अक्षांश के बीच धरती के घूमने से पैदा होने वाला अपकेंद्रीय बल ज्यादातर लंबवत रूप में काम करता है। जैसे-जैसे आप उत्तर की ओर बढ़ते हैं, इस बल की दिशा बदलती जाती है और यह स्पर्शरेखीय हो जाता है, लेकिन यहां यह लंबवत ही काम करता है।

उन्होंने कहा कि ग्यारह डिग्री अक्षांश वह स्थान है जहां यह पूरी तरह से लंबवत होता है, इसीलिए अपने भीतर तमाम खोजबीन के बाद हमने ईशा योग सेंटर की स्थापना भी ग्यारह डिग्री अक्षांश पर की ताकि यहां जो कोई भी साधना करे, उसे अधिकतम लाभ मिल सके। धरती का अपकेंद्रीय बल हर चीज को ऊपर की ओर धकेल रहा है। इस तरह शून्य से लेकर तीस डिग्री अक्षांश के बीच की जगह को इस धरती पर पवित्र माना गया है क्योंकि इस क्षेत्र में जो भी साधना की जाती है, उसका अधिकतम लाभ मिलता है।

स्वामीजी ने कहा कि इन अक्षांशों के बीच हमने कई जगहों की पहचान की, जहां साल में या एक शौर्य वर्ष में, जो बारह वर्ष तीन महीनों का होता है अलग—अलग समय पर, तमाम शक्तियां एक खास तरीके से काम कर रही हैं। बस इन्हीं जगहों को किसी खास दिन या दिनों के लिए चुना गया।

गुरुकुल के प्राचार्य डॉ. सौम्य रंजन महापात्र ने कहा कि इसका संबंध योग के एक मूलभूत पहलू से है, जिसे भूत शुद्धि कहा जाता है और जिसका अर्थ है अपने पंचतत्वों की सफाई करना। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने आचार्य शशिनाथ, आचार्य देवकी नंदन, आचार्य साहिल शर्मा, आचार्य राजेश रतनपाल, आचार्य शत्रुघ्न, आचार्य सोहन आदि उपस्थित थे।

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