ढाका, 28 फरवरी (हि.स.)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिलसा (इलिश) मछली के पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। हिलसा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है और भारत के पश्चिम बंगाल में इसका खास महत्व है। सरकार ने चांदपुर में पद्मा-मेघना नदियों में इसके पकड़ने पर दो महीने के प्रतिबंध की घोषणा की है। यह प्रतिबंध शनिवार आधी रात से 30 अप्रैल तक प्रभावी रहेगा। प्रतिबंधित क्षेत्र में मतलाब उत्तर में शटनाल से हैमचार उपजिला में चार भैरवी तक 70 किलोमीटर का अभयारण्य क्षेत्र शामिल है।
ढाका ट्रिब्यून समाचार पत्र के अनुसार, इससे चांदपुर जिले के लगभग 44,000 पंजीकृत मछुआरे प्रभावित होंगे। यह लोग प्रतिबंधित क्षेत्र में हिलसा ही नहीं अन्य प्रजाति की मछली भी नहीं पकड़ पाएंगे। अंतरिम सरकार को उम्मीद है कि इससे इलिश फ्राई (जटका) के संरक्षण में मदद मिलेगी और उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। जिला मत्स्य अधिकारी एमडी गोलाम मेहदी हसन ने कहा कि चांदपुर और हैमचर में स्थानीय टास्क फोर्स प्रतिबंधित क्षेत्र में निगरानी करेंगे। सरकार ने मछुआरों के लिए खाद्य सहायता के रूप में चावल आवंटित किया है। प्रत्येक मछुआरे को चार महीने के लिए 40 किलोग्राम चावल मिलेगा।
अखबार की खबर के अनुसार, जिले केआनंद बाजार, लालपुर, सोफ्रामाली, कनुडी, बिष्णुपुर, तिलाबाड़ी जैसे क्षेत्रों में तमाम मछुआरों ने अपनी नावें नदी के तटों पर लगा दी हैं। सभी ने जाल समेट लिए हैं। चांदपुर मत्स्य अनुसंधान केंद्र के पूर्व वैज्ञानिक और आयरिश शोधकर्ता डॉ. अनीसुर रहमान ने कहा कि प्रदूषण और अत्यधिक रेत निकासी के कारण मेघना-पद्मा नदियों में मछली की आबादी कम हो रही है। उन्होंने सरकार के इस कदम की प्रशंसा की है।
पश्चिम बंगाल की संस्कृति में हिलसा मछली का अपना ही महत्व है। यहां इसके बिना शादी जैसे शुभ काम नहीं होते। दुर्गा पूजा में हिलसा मछली का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। यही नहीं हिलसा के बिना बंगाल में किसी शुभ कार्य की कल्पना नहीं की जा सकती। हिलसा को ‘माछेर राजा’ यानी मछलियों का राजा कहा जाता है। यह मछली नदियों और खाड़ी के मीठे पानी में रहती है। इसलिए इस मछली में समुद्र और नदी दोनों के पानी का खास स्वाद होता है।
बांग्लादेश दुनिया का लगभग 70 प्रतिशत हिलसा पैदा करता है। हिसला बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली भी है। इसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजाति पद्मा इलिश (तेनुलोसा इलिशा) है। हिलसा बांग्लादेश में बंगाल की खाड़ी से लेकर नदियों तक व्यापक रूप से पाई जाती है। एक किलोग्राम हिलसा 2000 रुपये या इससे अधिक कीमत तक बिकती है।