कोंडागांव, 4 मार्च (हि.स.)। जिले की रियासत कालीन शताब्दियाें पुरनी सात दिवसीय काेंड़ागांव पारंपरिक मंडई की शुरुआत आज मंगलवार काे हो गई है। परंपरानुसार फागुन पूर्णिमा के पहले मंगलवार को ग्रामीण कोंडागांव मंडई(मेला) का निमंत्रण देने आम के पत्ते लेकर निकले। मेले की शुरुआत से पहले ग्राम के कोटवार, पटेल और पुजारी देवी-देवताओं से अनुमति लेते हैं। इसके बाद आम के पत्तों और टहनियों को लेकर व्यापारियों को मेले का न्योता देने निकलते हैं। मेले में आस-पास की 22 पालियों (इलाकों )के देवी-देवताओं को भी निमंत्रण दिया गया। मेले के पहले दिन देवी-देवताओं की विशेष परिक्रमा हुई है। इस परिक्रमा में जिले के कलेक्टर, एसपी और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए।
बस्तर की समृद्ध संस्कृति को देखने के लिए विदेशी पर्यटक भी काेंड़ागांव मंडई में पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार जब कोंडागांव को कोन्डनार के नाम से जाना जाता था, तब से यह परंपरानुसार आम के वृक्ष की पूजा कर उसकी पत्तियां और टहनियां तोड़ी जाती हैं। बस्तर में आम के पत्तों का विशेष महत्व है। यह मेला बस्तर की संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। विदित हाे कि कोंडागांव मंडई के लिए सोमवार काे गांव के प्रमुख पटेल और कोटवार एकत्रित होकर देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया था, आज मंगलवार को देवी-देवताओं का आगमन हाेने लगा। सभी देवी-देवता ग्राम देवी के गुड़ी मंदिर में एकत्रित हुए इसके बाद पूजा अर्चना के बाद मेला परिसर की परिक्रमा की गई है।