गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) , 06 मार्च (हि.स.)। ऐतिहासिक श्रीदूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर कॉरिडोर के प्रथम चरण में मुख्य द्वार और यात्री निवास का निर्माण कार्य आज शुरू हो गया। पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों काशी के विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकालेश्वर की तर्ज पर इसका जीर्णोद्वार करने का निर्णय लिया था। इसी के अंतर्गत निर्माण कार्य शुरू हुआ है।
यहां के महंत नारायण गिरी ने बताया कि ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर से गाजियाबाद की देश ही नहीं पूरे विश्व में पहचान है। मंदिर में लंका नरेश रावण के पिता से लेकर रावण और छत्रपति शिवाजी महाराज तक पूजा-अर्चना कर चुके हैं। मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए केंद्र व उत्तर प्रदेश की सरकार ने कॉरिडोर बनाकर मंदिर का काशी के विश्वनाथ मंदिर व उज्जैन के महाकालेश्वर की तर्ज पर जीर्णोद्वार करने का निर्णय लिया था। कॉरिडोर के तहत मुख्य द्वार के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। यात्री निवास का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। कॉरिडोर का कार्य पर्यटन विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से किया जा रहा है।
निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज व मंदिर के पीठाधीश्वर श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का आभार व्यक्त किया।
महंत नारायण गिरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम का भव्य मंदिर बना और 500 वर्ष के बाद रामलला विराजमान हुए। आज अयोध्या का भव्य मंदिर पूरे विश्व में धर्म व आध्यात्म का प्रमुख केंद्र बन गया है। देश भर में प्रमुख मंदिरों के जीर्णोद्वार व सौंदर्यकरण का कार्य किया जा रहा है, जिससे सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का परचम पूरे विश्व में फहरा रहा है। श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर ऐतिहासिक व सिद्धपीठ है। इस मंदिर की स्थापना खुद लंकापति रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने की थी।
रावण भगवान दूधेश्वर की पूजा करने के लिए आता था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने कहा कि मंदिर की बहुत अधिक मान्यता होने से यहां विश्व भर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। मंदिर में कॉरिडोर बनने से जहां उत्तर प्रदेश में पयर्टन को बढावा मिलेगा और धर्म व आध्यात्म की पताका फहराएगी, वहीं बडी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा।