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राजस्थान हाईकोर्ट : विवाहित पुत्री को सरकारी कर्मचारी का आश्रित मानकर भुगतान करने के आदेश

जोधपुर, 7 मार्च (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और पीएचईडी विभाग को विवाहित पुत्री को सरकारी कर्मचारी का आश्रित मानकर भुगतान करने के आदेश पारित किया। न्यायाधिपति दिनेश मेहता द्वारा याची भावना कंवर द्वारा प्रस्तुत एकलपीठ याचिका मे सुनवाई करते हुए याचिका स्वीकार कर विवाहिता को भुगतान के आदेश पारित किया है ।याची भावना कंवर के अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष दीवानी एकलपीठ याचिका प्रस्तुत कर बताया कि याची की माता शकुन्तला भाटी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में कर्मचारी थी, जिनका राजकीय सेवारत रहने के दौरान निधन हो गया, जिनके दो पुत्र एक पुत्री है। पुत्री द्वारा मरणोपरान्त मिलने वाले हितलाभ को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र विभाग में प्रस्तुत किया गया। शकुन्तला भाटी के द्वारा स्वयं की सेवा पुस्तिका में परिवार के किसी सदस्य को नोमिनेशन नहीं किये जाने के कारण पेंशन विभाग द्वारा बकाया राशि, पेंशन, ग्रेच्युटी एवं उपार्जित अवकाश के नगदीकरण का भुगतान राजस्थान सिविल सेवा नियम पेंशन नियम 1996 के नियम 54 के नियम 56 के अनुसार विवाहित पुत्री होने के कारण देय नही होना कहकर प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिया।

तब याची द्वारा विभाग को अभ्यावेदन व सूचना पत्र देकर राज्य कर्मचारी के वारिसान को मरणोपरान्त मिलने वाले लाभ प्रदान करने की प्रार्थना की जिसे अस्वीकार करने पर राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत कर कहा कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के संशोधन कर सर्कुलर जारी कर आश्रित में विवाहित पुत्री जोड़ा जा चुका है तथा राजस्थान उच्च न्यायालय की वृहदपीठ द्वारा प्रियंका श्रीमाली बनाम राज्य सरकार मे भी विवाहित पुत्री को मरणोपरान्त मिलने वाले लाभ प्राप्त करने का हकदार माना है। याची का प्रार्थना पत्र अस्वीकार करना गैर कानूनी व असंवैधानिक है।

राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा याची का पक्ष सुनकर राजस्थान सरकार जरिये सचिव पीएचईडी विभाग चीफ इंजीनियर राजस्थान, चीफ इंजीनियर जोधपुर, सुपरिडेन्ट इंजीनियर जोधपुर व अन्य को नोटिस जारी किए पश्चात जवाब दिए जाने के बाद दोनों पक्षों की सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर उत्तराधिकार के शासकीय नियमों के तहत राशि प्रदान करने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित न्याय निर्णय रामचंद्र तलवार व अन्य बनाम देवेंद्र कुमार तलवार व अन्य व श्रीमती शरबती देवी बनाम उषा देवी का हवाला देते हुए कहा कि याची व अन्य जो भी लीगल रिप्रेजेंटेटिव है उनके प्रिसक्राइब्ड फॉर्म में चार सप्ताह के भीतर-भीतर विभाग को आवेदन करने पर भुगतान किए जाने का आदेश पारित किया है। याची की ओर से न्यायालय में अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे, प्रद्युम्न पटेल व राजेंद्र सिंह ने उपस्थित होकर पक्ष रखा।

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