— पांच से 20 फुट लंबे बिक रहे रंग बिरंगे होलिका के पुतले
कानपुर, 13 मार्च (हि.स.)। होली के पर्व को लेकर तैयारियां अंतिम दौर पर हैं और होलिका के पुतलों का बाजार पूरी तरह से सज चुका है। आर्डर दे चुके लोग फोन पर फोन कर पुतला तैयार होने की जानकारी कारीगरों से मांग रहे हैं। वहीं कारीगर भी परिवार सहित इस काम को बखूबी निभा रहे हैं। बाजार में इन दिनों पांच से लेकर 20 फीट के होलिका दहन के पुतले सजे हुए हैं। यहां पर कानपुर ही नहीं आस—पास के जनपदों से खरीदार आते हैं।
जी.टी. रोड गोल चौराहा स्थित दर्जनों ऐसे पुतले बनाने वाले कारीगर हैं, जो कई पीढ़ियों से पुतला बनाकर अपना जीवन यापन करते चले आ रहे हैं। बाजार में पांच फुट से लेकर बीस फुट लंबे पुतले उपलब्ध हैं। जिनकी कीमत उनकी गुणवत्ता के हिसाब से पांच से लेकर बीस हजार रुपये तक है। जिन्हें शहर के साथ-साथ आस-पास के जनपदों से खरीदार आते हैं। होलिका के पुतले की डिमांड लगातार बढ़ रही है जिस वजह से बाजार में होलिका के पुतले बनाने वाले कारीगर दिन-रात लगकर पुतला बनाने में जुटे हुए हैं।
पुतला बनाने वाले कारीगर बब्लू कुमार ने बताया कि वह बीते बीस सालों से पुतला बनाने का काम कर रहे हैं। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मिलकर पुतला बनाते हैं। आगे उन्होंने बताया कि पांच फुट से लेकर बीस फुट तक के पुतले बनाये जाते हैं। जिनकी कीमत पुतलों की गुणवत्ता के हिसाब से पांच हजार रुपये से लेकर बीस हजार रुपये तक होती है। पुतला बनाने का काम एक महीने पहले से शुरु हो जाता है। हालांकि इस काम में ज्यादा बचत भी नहीं होती है। एक पुतला चार से पांच लोग मिलकर दो से तीन दिनों में बनाते हैं।
पुतला कारीगर चैंकी ने बताया कि वह और उनका परिवार मिलकर करीब 18 साल से पुतला बना रहे हैं। बचत के नाम पर फुटपाथ पर घर, कारीगरों के रूप में घर वाले और दिन रात की मेहनत कर बमुश्किल दो वक्त की रोजी-रोटी का ही इंतज़ाम हो पाता है। शिक्षा की कमी के चलते उन्हें इसके अलावा और कुछ आता भी नहीं है।
वहीं पुतला कारीगर विकास की भी स्थिति कुछ इसी प्रकार की है। उन्होंने बताया कि पांच से सात फुट के पुतले को बनाने में तीन से चार हजार रुपये की लागत आती है। जिसे पांच से छह हजार रुपये में बेचा जाता है। हालांकि बचत के नाम पर कुछ भी खास हाथ नहीं आता है। कभी कभी तो इन पुतलों को दाम के दाम भी बेचना पड़ता है।