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आईसीजी ने कच्चातिवु उत्सव के 3,400 तीर्थयात्रियों की सुरक्षा में तैनात किए जहाज और विमान

नई दिल्ली, 14 मार्च (हि.स.)। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में वार्षिक दो दिवसीय उत्सव के लिए कच्चातिवु द्वीप की यात्रा करने वाले मछुआरों की सुरक्षा के लिए जहाज और एक विमान तैनात किया है। हर साल होने वाला कच्चातिवु उत्सव इस वर्ष 14 एवं 15 मार्च को हो रहा है, जिसमें कुल 3,421 तीर्थयात्री श्रीलंकाई द्वीप कच्चातिवु जा रहे हैं। आईसीजी भारतीय तीर्थयात्रियों को सुरक्षित रूप से श्रीलंकाई नौसेना को सौंप देगा और अगले दिन वापस लाएगा।

सेंट एंटनी चर्च में आईसीजी स्टेशन मंडपम के कमांडिंग ऑफिसर कमोडोर बी विनय कुमार ने कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर सभी प्रबंध कर लिए गए हैं। आईसीजी ने सुनिश्चित किया है कि सभी तीर्थ यात्री पूरी अवधि के दौरान जीवन रक्षक जैकेट पहने रहें। आईसीजी इंटरसेप्टर श्रेणी की नाव के कमांडिंग ऑफिसर डिप्टी कमांडेंट अभिषेक यादव ने बताया कि भारतीय तटरक्षक बल त्योहार के लिए मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना को सौंपने से पहले उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगा।

उन्होंने बताया कि चार्ली 431 और 431 जहाज, एक एसीवी डोर्नियर और एक फास्ट पेट्रोल जहाज मछुआरों को रामेश्वरम से कच्चातिवु द्वीप तक आसानी से ले जाने के लिए मौजूद रहेंगे। हम सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करेंगे और सुरक्षित रूप से श्रीलंकाई नौसेना को सौंप देंगे। अगले दिन प्रार्थना के बाद हम तीर्थयात्रियों को वापस लाने के लिए फिर से कार्यभार संभालेंगे। आईसीजी की तैयारियों पर विश्वास व्यक्त करते हुए जहाज के सीओ ने जहाज पर अतिरिक्त जीवन रक्षक जैकेट और चिकित्सा सुविधाओं का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा के लिए हम अपनी क्षमता से डेढ़ गुना ज़्यादा लाइफ़ जैकेट रखते हैं, लेकिन मौसम खराब होने की स्थिति में किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त जैकेट भी रखेंगे। इसके अलावा हमारे जहाज में बुनियादी चिकित्सा सुविधा भी है। आईसीजी अधिकारी के अनुसार 2023 में लगभग 2,700 तीर्थयात्री त्योहार के लिए द्वीप पर आए थे, लेकिन इस बार यह संख्या बढ़कर 3,421 हो गई है।

डिप्टी कमांडेंट अभिषेक यादव ने कहा कि कच्चातिवु एक निर्जन छोटा द्वीप है, जिसमें सेंट एंटनी को समर्पित एक चर्च है, जिन्हें मछुआरों का संरक्षक माना जाता है।आमतौर पर लोगों को कच्चातिवु द्वीप पर हर साल इन दो दिनों को छोड़कर जाने की अनुमति नहीं है। भारत और श्रीलंका के मछुआरे मार्च-अप्रैल में सेंट एंटनी के उत्सव में भाग लेते हैं। दोनों देशों के बीच समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को त्योहार के लिए द्वीप की यात्रा करने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती है।

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