काठमांडू, 18 मार्च (हि.स.)। नेपाल में आमजन की राजतंत्र की पुनर्बहाली की मांग के बीच पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने सोमवार को एक आंदोलन समिति का गठन किया। समिति की बागडोर राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के बहुत पुराने नेता नवराज सुवेदी को सौंपी गई। इसमें कई नेताओं को भी शामिल किया गया। इनमें से कइयों ने एक दिन बाद ही खुद को समिति से अलग कर लिया।
इस समिति में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन, राप्रपा नेपाल के अध्यक्ष कमल थापा, विश्व हिंदू महासंघ की अध्यक्ष अस्मिता भंडारी, राप्रपा के वरिष्ठ नेता पशुपति शमशेर राणा, केशर बहादुर विष्ट, धवल शमशेर राणा, पूर्व पत्रकार रमा सिंह तथा राजसंस्था पुनर्स्थापना राष्ट्रीय अभियान के संयोजक दुर्गा प्रसाई को सदस्य बनाया गया है। साथ ही राप्रपा के उपाध्यक्ष रवीन्द्र मिश्र को सदस्य सचिव बनाने की घोषणा की गई।
राप्रपा के अध्यक्ष राजेन्द्र लिंगदेन और राप्रपा नेपाल के अध्यक्ष कमल थापा ने ही खुद को समिति से अलग करने की घोषणा की है। लिंगदेन का कहना है कि न तो उनसे विचार-विमर्श किया गया और न ही उन्हें समिति में रखने पर उनकी सहमति ली गई। कुछ ऐसी ही बात कमल थापा ने की है। मगर थापा ने कहा कि वह इस अभियान का समर्थन करेंगे। केशर बहादुर विष्ट ने भी आज बयान जारी कर समिति में रहने से इनकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने भी इस अभियान का समर्थन किया है।।
सदस्य सचिव बनाए गए रवीन्द्र मिश्र ने कहा कि पूर्व राजा को इस राजनीति में सीधे नहीं पड़ना चाहिए था। मिश्र का मानना है कि जब पूरी राप्रपा पार्टी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही थी तो ऐसे में किसी एक व्यक्ति को आंदोलन का नेतृत्व देकर पार्टी के प्रमुखों को उसके नीचे सदस्य बनाने से आंदोलन विवादित हो गया है और इसका प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।