ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की हालत ‘आगे कुआं, पीछे खाई’ वाली हो गई है। वह अपनी आंतरिक समस्याओं के अलावा एक साथ कई समस्याओं से जूझ रहा है। इजराइल ने फिलिस्तीन में आतंकी संगठन हमास के ठिकाने गाजा पट्टी को तबाह किया, लेकिन भारत को पाकिस्तान को पूरी तरह से तबाह करने की जरूरत नहीं पड़ी। ऑपरेशन के बाद से पाकिस्तान के हालात बहुत तेजी से बदल रहे हैं। उसकी स्थिति गाजा पट्टी से ज्यादा खराब और दयनीय होने वाली है।
भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य, कूटनीतिक, व्यापारिक और द्विपक्षीय कार्रवाई के बाद वह अपने ही द्वारा बुने गए जाल में उलझ गया है। इसका त्वरित प्रभाव में दिखने लगा है और उसने भारत के जल शक्ति मंत्रालय से सिंधु जल संधि पुन: बहाल करने की गुहार भी लगा दी है। वह दिन दूर नहीं जब पाकिस्तान भूख और प्यास से चिल्लाता हुआ आएगा और भारत के साथ मित्रवत व्यवहार करने की कसमें भी खाएगा। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या पाकिस्तान के घड़ियाली आंसुओं पर भारत को कभी भी भरोसा करना चाहिए? क्या भारत को सिंधु जल संधि को बहाल करने पर पुनर्विचार करना चाहिए? क्या भारत को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लिए बिना किसी भी तरह की रियायत देनी चाहिए?
मैं कहूंगा कि बिलकुल नहीं। पाकिस्तान पूरी तरह से अविश्वनीय, दुष्ट, विश्वासघाती और अमानवीय प्रकृति का देश है। उसे पाकिस्तान की जगह आतंकिस्तान कहना ही बेहतर होगा। पाकिस्तान की हालत गाजा पट्टी से बदतर क्यों हो जाएगी, इसके कई कारण हैं। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को धूल चटाने के पहले भारत ने पाकिस्तान पर सिंधु जल संधि निलंबन, वीजा रोक, हवाई-व्यापार बंदी जैसे पांच बड़े प्रतिबंध लागू किए थे। दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम के बावजूद ये प्रतिबंध लागू हैं। वास्तविकता तो यह है कि भारत के इस संधि से अलग होने पर पाकिस्तान की 80 प्रतिशत कृषि भूमि को पानी नहीं मिल रहा। पाकिस्तान की बेचैनी अभी और बढ़ेगी। इसलिए आगे भी भारत को इन्हें प्रतिबंधों को लागू रखना चाहिए।
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में ड्रैगन (चीन निर्मित) के विमान जेएफ 17 और पीएल 15 मिसाइल का इस्तेमाल किया, उनको भारतीय वायुसेना ने धराशायी कर दिया। इसके चलते वैश्विक समुदाय के समक्ष चीन के सैन्य साजो सामान की घटिया गुणवत्ता का एक्सपोजर हो गया है। इससे पाकिस्तान के साथ ही चीन को भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और जो चीन विश्व के गरीब देशों को हथियार बेच सकता था, उस मोर्चे पर चीन को भी काफी निराशा हाथ लगी है। भारत के पहलगाम में आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर पर पलटवार करने के बाद हर मोर्चे पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान का झूठ वैश्विक समुदाय के समक्ष आ गया है।
इसके अलावा ऑपरेशन सिंदर में मारे गए आतंकियों के जनाजे में पाकिस्तान की सेना का मौजूद होना और आतंकियों के ताबूतों को पाकिस्तान के झंडे में लपेटे जाने के बाद संपूर्ण विश्व को पता चल गया कि पाकिस्तान आंतकियों को पालने-पोषने वाला देश है। दूसरा, पाकिस्तान ने एक और झूठ का प्रचार किया कि भारत ने अफगानिस्तान को निशाना बनाकर मिसाइलें दागीं लेकिन इस मामले में अफगानिस्तान ने ही पाकिस्तान को झूठा साबित कर दिया।
पाकिस्तान इस समय भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। वह कटोरा लेकर कभी आईएएफ, चीन अथवा अमेरिका के पास फंड लेने के लिए पहुंच जाता है। हैरानी की बात यह है कि इस समय पाकिस्तान पर करीब 21.6 लाख करोड़ रुपये का सार्वजनिक कर्ज है। ये पाकिस्तान की कुल जीडीपी का 67 प्रतिशत है। वहां पर महंगाई सातवें आसमान पर है। वहां पर बहुत बड़ी आबादी भुखमरी का शिकार है। पाकिस्तान की जनता ने भारत से गलत तरीके से युद्ध करने पर वहां की सरकार से हिसाब मांगना शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान का एक प्रांत बलूचिस्तान आग की ज्वाला में धधक रहा है। वहां की बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पाकिस्तान की फौज पर हमला कर खदेड़ दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव व संघर्ष के दौरान भी बीएलए ने पाकिस्तान की आर्मी पर अनेक हमले किए हैं। बलूच नेता मीर यार ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा ही नहीं है, अब वह आजाद है। उन्होंने इसमें भारत सरकार से भी मदद करने की अपील की है।
पाकिस्तान का झूठ, फरेब, विश्वासघाती और बहुरूपिया चरित्र सभी के सामने आ गया है। वास्तविकता यह है कि गाजा पट्टी से हमास आतंकी समूह का सफाया करने के लिए इजराइल को उस पर लगातार बम बरसाकर और वहां की बिजली आपूर्ति बाधित करनी पड़ी। हालांकि पाकिस्तान को तबाह करने के लिए भारत को इतनी मशक्कत तो नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि पाकिस्तान अपने चरित्र और कर्म के चलते बिखर रहा है लेकिन भारत को पाकिस्तान की चालाकी और धूर्तता पर कड़ी नजर रखते हुए वैश्विक स्तर पर उसकी असलीयत को उजागर करते रहना पड़ेगा।