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बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल तेज, असमंजस के बीच यूनुस ने वार्ता के लिए बीएनपी और जमात को आमंत्रित किया

ढाका, 24 मई (हि.स.)। बांग्लादेश में ‘पतन के भंवर’ की अटकलों में फंसी 10 माह पुरानी अंतरिम सरकार के प्रमुख और मुख्य सलाहकार प्रो. मोहम्मद यूनुस के आज बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मिलने की संभावना के बीच राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। संसदीय चुनाव के मुद्दे पर कुछ माह से यूनुस राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं।

समाचार पोर्टल बीडीन्यूज24डॉटकॉम के अनुसार, यूनुस बढ़ते राजनीतिक तनाव और अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में अपने भविष्य पर सवालिया निशान के बीच बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से मिलने के लिए तैयार हो गए हैं। यूनुस ने बीएनपी प्रतिनिधिमंडल को आज शाम 7:30 बजे अपने आधिकारिक आवास स्टेट गेस्ट हाउस जमुना में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से उनकी मुलाकात जमुना में ही रात 8:30 बजे होगी। बीएनपी स्थायी समिति के सदस्य खांडेकर मुशर्रफ हुसैन और जमात प्रमुख शफीकुर रहमान अपनी-अपनी पार्टी नेताओं का नेतृत्व करेंगे। बीएनपी नेता सलाहुद्दीन अहमद और जमात के उप प्रमुख सैयद अब्दुल्ला मोहम्मद ताहिर ने इसकी पुष्टि की है।

सनद रहे कि पिछले साल छात्र और जन विद्रोह के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पांच अगस्त को देश छोड़ दिया था। तीन दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. यूनुस ने अंतरिम सरकार के सलाहकार के रूप में शपथ ली थी। लगभग 10 महीने बाद देश में फिर राजनीतिक तनाव भड़क गया है। इसके केंद्र में संसदीय चुनाव में हो रही देरी और ढाका दक्षिण नगर निगम के मेयर के रूप में बीएनपी नेता इशराक हुसैन के शपथ ग्रहण में अडंगा है। इसके अलावा जुलाई विद्रोह के नेताओं के नेतृत्व में कई सलाहकारों के इस्तीफे की मांग की गई।

राजनीतिक गहमागहमी के बीच ऐसी खबरें सामने आईं कि सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने दिसंबर तक चुनाव कराने के बारे में आंतरिक रूप से बात की थी। इस पृष्ठभूमि में, पूर्व सलाहकार नाहिद इस्लाम ने गुरुवार को सलाहकार यूनुस से बात की। नाहिद ने फरवरी में अंतरिम सरकार से इस्तीफा देकर छात्र-नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) का गठन किया है। नाहिद के मिलने के बाद दो मौजूदा छात्र सलाहकार महफूज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुयान ने भी मुख्य सलाहकार से मुलाकात की।

बीएनपी ने इस घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले अचानक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अंतरिम सरकार को चेताया कि संसदीय चुनाव हर हाल में दिसंबर तक होने चाहिए। इसके बाद जमात ने बिना चूके उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक के बाद शफीकुर ने सार्वजनिक रूप से यूनुस से सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया। इस बीच, शुक्रवार को यूनुस के विशेष सहयोगी फैज अहमद तैयब ने फेसबुक पर पोस्ट कर उम्मीद जताई कि मुख्य सलाहकार इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने चुनाव के संबंध में सेना प्रमुख की हालिया टिप्पणियों पर भी सवाल उठाए। हालांकि, तैयब ने बाद में पोस्ट को डिलीट कर दिया।

बांग्ला अखबार प्रोथोम अलो की खबर के अनुसार, अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के गुस्से और हताशा के कारण इस्तीफा देने की खबर से पूरे देश में हलचल है। हालांकि कोई भी पार्टी नहीं चाहती कि प्रोफेसर यूनुस इस्तीफा दें। पार्टियां अंतरिम सरकार से संसदीय चुनाव के लिए एक विशिष्ट तारीख की मांग कर रही हैं। बताया जा रहा है कि प्रो. यूनुस ने गुरुवार को सलाहकार परिषद की नियमित बैठक के बाद कुछ लोगों से इस्तीफा देने पर चर्चा की। अचानक हुई इस चर्चा ने देश में खलबली मचा दी। कहा जा रहा कि यूनुस विभिन्न दलों के असहयोग से परेशान हैं।

इससे पहले बुधवार को ढाका छावनी में आयोजित समारोह में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के संबोधन में दिसंबर तक चुनाव कराने और निर्वाचित सरकार की स्थापना सहित राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा से यह आशंका घर कर गई कि बांग्लादेश कहीं सैन्य शासन की दिशा में तो नहीं बढ़ रहा। इसके अगले दिन यह बात फैल गई कि प्रो. यूनुस मुख्य सलाहकार पद छोड़ना चाहते हैं।

इस घटनाक्रम में बीएनपी की नेपथ्यीय भूमिका को भी प्रमुख माना जा रहा है। हालांकि बीएनपी स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद का कहना है कि पार्टी मुख्य सलाहकार का इस्तीफा नहीं चाहती। हम चाहते हैं कि अंतरिम सरकार चुनाव की ‘एक’ तारीख तय करे। अगर मुख्य सलाहकार अब भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाते तो राष्ट्र निश्चित रूप से कोई अन्य विकल्प चुनेगा। सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक रूप से जागरूक लोग देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक बीएनपी को पसंद कर रहे हैं। गुरुवार रात बीएनपी, नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) और जमात-ए-इस्लामी सहित विभिन्न दलों के नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई है। बताया गया है कि किसी भी संभावित संकट या अनिश्चितता को हल करने के लिए तीनों के बीच आम सहमति बन गई है।

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