📍 देहरादून, 09 जून (हि.स.)
फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और महिला अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से रविवार को एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों और शिक्षकों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई।
🔍 मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे POSH मास्टर ट्रेनर और मनोवैज्ञानिक डॉ. पवन शर्मा ‘द साइकेडेलिक’, जिन्होंने यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के कानूनी पहलुओं को रोचक उदाहरणों और व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से सरल ढंग से समझाया।
🧠 छात्रों में जागरूकता और संवाद:
छात्रों ने उत्सुकता से कई सवाल पूछे, जिनका डॉ. शर्मा ने विस्तारपूर्वक उत्तर दिया। उन्होंने बताया कि कई संस्थान इस कानून को गंभीरता से नहीं लेते, जिससे महिला कर्मचारियों को सुरक्षित वातावरण नहीं मिल पाता।
📊 महत्वपूर्ण आंकड़े:
डॉ. शर्मा ने बताया कि सर्वेक्षणों के अनुसार हर दो में से एक महिला कर्मचारी को कार्यस्थल पर किसी न किसी रूप में यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
🤝 समाज की भूमिका:
उन्होंने यह भी बताया कि फोरगिवनेस फाउंडेशन सोसाइटी द्वारा संस्थानों को निशुल्क परामर्श और विधिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे POSH कानून को प्रभावी रूप से लागू कर सकें।
👥 इस अवसर पर एडवोकेट कुलदीप भारद्वाज और समाजसेविका सुनिष्ठा सिंह की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाया।
📣 कार्यशाला का उद्देश्य न केवल जागरूकता फैलाना था, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी था कि हर कार्यस्थल महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षित, समान और गरिमापूर्ण बना रहे।




