📍 जोधपुर, 9 जून (हि.स.) — राजस्थान उच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग के एक गंभीर मामले में राजस्थान ग्रामीण बैंक के अधिकारी हरीश शर्मा पर ₹50,000 का जुर्माना लगाते हुए रिट याचिका खारिज कर दी है।
⚖️ क्या है मामला?
- हरीश शर्मा, जो बैंक अधिकारी (श्रेणी द्वितीय) हैं, ने बैंक द्वारा 19 अक्टूबर 2023 को जारी आरोप पत्र को रद्द कराने के लिए फिर से रिट याचिका दायर की थी।
- उन्होंने मांग की थी कि बैंक के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
⚠️ बार-बार याचिका दायर करने पर कोर्ट सख्त
- याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश रेखा बोराणा ने कहा कि: “प्रार्थी ने एक ही विषय पर 6 से अधिक बार रिट याचिकाएं दाखिल की हैं, जबकि उसे पहले ही 15 दिनों में बैंक के समक्ष आपत्ति दर्ज करने का अवसर दिया गया था।”
- कोर्ट ने इस व्यवहार को “न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग” माना।
📜 बैंक पक्ष की दलीलें
- बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एन. माथुर और अनिल भंडारी ने कोर्ट को बताया:
- यह प्रार्थी न्यायिक व्यवस्था का दुर्पयोग करने का आदी हो चुका है।
- अब तक इसी आरोप पत्र पर कुल 6 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।
- पिछले 7 महीनों में 30 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें से 25 खारिज हो चुकी हैं।
🧾 अदालत का आदेश
- याचिका को “बेतुकी और आधारहीन” बताते हुए खारिज किया गया।
- हरीश शर्मा को आदेश दिया गया कि:
- 30 दिनों के भीतर ₹50,000 वादकरण कल्याण कोष में जमा करें।
- रसीद न्यायालय में प्रस्तुत करें।
- कोर्ट ने दो टूक कहा कि: “किसी भी याची को न्याय व्यवस्था का मज़ाक उड़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
📌 महत्वपूर्ण तथ्य
- हरीश शर्मा द्वारा 7 महीनों में 30 रिट याचिकाएं दायर की गईं।
- इनमें से 25 पहले ही खारिज की जा चुकी हैं।
यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा बनाए रखने के लिए एक अहम मिसाल है, जहां अदालत ने साफ संदेश दिया है कि अनुचित याचिकाओं और बार-बार मुकदमा दायर करने से न्याय व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव नहीं बनने दिया जाएगा।




