📍 बलरामपुर, 9 जून (हि.स.) — मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी सोच के तहत प्रदेश के हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के उद्देश्य से ‘युक्तियुक्तकरण नीति’ लागू की गई है। इस नीति का मकसद शिक्षकों की उपयुक्त पदस्थापना कर शैक्षिक गुणवत्ता को मजबूत बनाना है।
📚 क्या है नीति का असर?
बलरामपुर जिले में नीति के तहत शिक्षकों की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है और अधिकांश शिक्षक अपने कार्यस्थल पर योगदान दे रहे हैं। खासकर माओवाद प्रभावित दूरस्थ ग्राम चुनचुना में शिक्षा का पुनर्जीवन हुआ है, जहां अब दो शिक्षक कार्यरत हैं।
👩🏫 प्रेरणादायक बदलाव
प्रभा टोप्पो को प्रधान पाठिका के रूप में नियुक्त किया गया है, जिन्होंने चुनचुना जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में सेवा देने का संकल्प लिया है। इससे विद्यालय में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुशासन और सांस्कृतिक गतिविधियों में सुधार हुआ है।
🚧 विकास और भरोसा
गांव में सड़कें बनी हैं, संचार बेहतर हुआ है और लोगों में शिक्षा को लेकर विश्वास जागृत हुआ है। यह नीति केवल शिक्षकों की तैनाती नहीं, बल्कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक संवेदनशील कदम है।
📌 प्रमुख तथ्य
- युक्तियुक्तकरण नीति से शिक्षकों की प्रभावी पदस्थापना
- चुनचुना जैसे कठिन इलाके में शिक्षा का पुनरुत्थान
- बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक और सांस्कृतिक माहौल




