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रेशम विभाग और मनरेगा के समन्वित प्रयासों से ग्रामीण आजीविका को मिली नई दिशा

📍 स्थान: ग्राम पंचायत भिलाई, विकासखंड बलौदा, जिला जांजगीर-चांपा
📅 तारीख: 16 जून 2025

🔹 मुख्य उपलब्धि:
ग्राम भिलाई के स्व-सहायता समूहों ने रेशम (कोसा) उत्पादन के क्षेत्र में अनुकरणीय सफलता प्राप्त की है। रेशम विभाग और महात्मा गांधी नरेगा (MGNREGA) के संयुक्त प्रयासों से अर्जुन पौधरोपण, जल संरक्षण और कृमिपालन ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।

🔸 2001-02 से सतत प्रयास:

  • रेशम विभाग द्वारा 64,000 अर्जुन पौधे विभागीय मद से लगाए गए।
  • 2015-16 में मनरेगा समन्वय से प्रथम चरण में 20,500 पौधों का रोपण और 42,000 पौधों की नर्सरी तैयार की गई।
  • वर्तमान में कुल 78,685 अर्जुन पौधे जीवित हैं।

🔹 वित्तीय सहायता:

  • पौधरोपण, जल संरक्षण और देखरेख हेतु कुल 13.87 लाख रुपये की स्वीकृति।
  • 9,884 मानव दिवसों का सृजन, जिससे ग्रामीणों को गांव में ही स्थायी रोजगार मिला।

💼 स्वावलंबन की मिसाल: स्व-सहायता समूह

  • समूहों की महिलाएं व पुरुष कृमिपालन से कोसाफल की दो फसलें ले रहे हैं।
  • प्रति सदस्य 50,000 से 60,000 रुपये की वार्षिक आय
  • महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक ढंग से कोसा पालन सिखाया गया।
  • स्थानीय बाजारों में उच्च गुणवत्ता के कोसा उत्पाद को पहचान मिली।

👩‍🌾 महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण

  • महिलाओं को मिला आर्थिक और सामाजिक आत्मबल
  • स्व-सहायता समूह प्रेरणा स्रोत बने, अन्य गांवों में भी बढ़ा रुझान।

🌱 पर्यावरण संरक्षण और रोजगार का संतुलन

  • अर्जुन वृक्षारोपण और जल संरक्षण कार्यों से हरित क्षेत्र को बढ़ावा।
  • स्थानीय श्रमिकों को गांव में नियमित रोजगार, प्रवास की आवश्यकता में कमी।

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