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पारंपरिक खानपान और आयुर्वेद से संभव है निरोग जीवन : डॉ. अनुराग श्रीवास्तव

गोरखपुर, 17 जून (हि.स.)।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर (MGUG) में सोमवार को ‘जीवनशैली जन्य रोगों का प्रबंधन : एक समग्र दृष्टिकोण’ विषय पर एक विशिष्ट संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेषज्ञों ने पारंपरिक भारतीय जीवनशैली, योग और आयुर्वेद को समग्र स्वास्थ्य के मूल स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया।


🩺 डॉ. अनुराग श्रीवास्तव : समन्वित चिकित्सा की आवश्यकता

मुख्य अतिथि डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, प्राचार्य – गुरु गोरक्षनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, ने कहा:

“वर्तमान समय में आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न रोगों का समाधान आयुर्वेद और पारंपरिक भारतीय खानपान में निहित है। आयुर्वेद न केवल चिकित्सा प्रणाली है, बल्कि यह जीवन जीने की एक वैज्ञानिक और समग्र दृष्टि प्रदान करता है।”

उन्होंने इन्टीग्रेटिव हेल्थकेयर मॉडल पर बल देते हुए कहा कि आयुर्वेद, एलोपैथी, योग, आयुर्जेनोमिक्स और आधुनिक अनुसंधान के समन्वय से ही एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य तंत्र का निर्माण संभव है।


🪔 योग-आयुर्वेद जीवनशैली रोगों की संजीवनी : डॉ. जीएस तोमर

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष डॉ. जीएस तोमर ने कहा:

आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – ये आयुर्वेद के तीन उपस्तंभ हैं। इनकी उपेक्षा ही जीवनशैली जन्य रोगों का मुख्य कारण है। ऐसे में योग और आयुर्वेद ही रोग निवारण के लिए संजीवनी समान हैं।”

उन्होंने कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी के दुष्प्रभावों को कम करने में भी आयुर्वेद की प्रभावशीलता का उल्लेख किया। मधुमेह प्रबंधन में पथ्य, दिनचर्या और हर्बल औषधियों की भूमिका पर भी उन्होंने प्रकाश डाला।


🌿 BGR-34 जैसी औषधियाँ मधुमेह में सहायक : डॉ. संचित शर्मा

विशिष्ट अतिथि एवं एमिल फार्मास्युटिकल्स के निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने मधुमेह पर चर्चा करते हुए बताया:

“भारत को आज डायबिटीज की राजधानी कहा जा रहा है। ऐसे में BGR-34 जैसी आयुर्वेदिक औषधियाँ, जिनमें 34 औषधीय घटक होते हैं, ग्लूकोज नियंत्रण में सहायक साबित हो रही हैं।”


📚 विश्वविद्यालय के शिक्षकों-छात्रों की भागीदारी

  • स्वागत भाषण: डॉ. गिरिधर वेदांतम (प्राचार्य, आयुर्वेद कॉलेज)
  • आभार ज्ञापन: डॉ. नवोदय राजू (एसोसिएट प्रोफेसर, क्रिया शरीर विभाग)

कार्यक्रम में शिक्षकों और विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता रही और संगोष्ठी के दौरान इंटीग्रेटिव हेल्थ, निवारक चिकित्सा और आहार-जीवनशैली विषयों पर सारगर्भित चर्चाएं हुईं।

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