कोर्ट के बाद भी नहीं हो रहे छात्रसंघ चुनाव
पश्चिम बंगाल छात्रसंघ चुनाव 2017 से बंद हैं। सरकार की घोषणाओं के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ममता बनर्जी का अधूरा वादा
28 अगस्त 2024 को तृणमूल छात्र परिषद स्थापना दिवस पर ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा के बाद चुनाव का ऐलान किया था। एक साल बाद भी स्थिति जस की तस है।
हाईकोर्ट का आदेश भी बेअसर
29 मार्च 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा था, लेकिन कोई गाइडलाइन अब तक नहीं आई है।
शिक्षा संस्थानों में लोकतंत्र खत्म?
पश्चिम बंगाल छात्रसंघ चुनाव आखिरी बार 2017 में हुए थे। प्रेसिडेंसी और जादवपुर यूनिवर्सिटी में भी 2019-20 के बाद चुनाव नहीं हुए।
विरोधी दलों का आरोप
एसएफआई का कहना है कि तृणमूल अपना वर्चस्व बचाने के लिए चुनाव नहीं करा रही। अधीर रंजन चौधरी ने इसे “राजनीतिक कब्जा” बताया।
तृणमूल की सफाई
सरकार का कहना है कि कोविड, मानसून और त्योहारों के कारण चुनाव में देरी हो रही है। लेकिन नई तारीख नहीं बताई गई।
कासबा घटना ने भड़काया मुद्दा
लॉ कॉलेज की छात्रा से गैंगरेप और उसमें छात्र परिषद से जुड़े नाम आने के बाद यह मुद्दा फिर गरमाया है।
निष्कर्ष
छात्रों में असंतोष बढ़ रहा है। सवाल यह है कि पश्चिम बंगाल छात्रसंघ चुनाव 2026 से पहले होंगे या नहीं – इस पर सरकार अब भी चुप है।