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केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले रायपुर दौरे पर, संत कबीर सत्संग और मंत्रालय योजनाओं की समीक्षा में लेंगे भाग

रायपुर, 1 जुलाई (हि.स.)

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले आज मंगलवार को रायपुर दौरे पर रहेंगे। दौरे का उद्देश्य मंत्रालय की योजनाओं की समीक्षा करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेना और जनता से संवाद स्थापित करना है।

🕙 कार्यक्रम का विवरण:

  • सुबह 10:00 बजे – रायपुर के पंडितराय क्षेत्र स्थित सद्गुरु कबीर परख संस्थान भवन में आयोजित संत कबीर सत्संग कार्यक्रम में भाग लेंगे।
  • 🍴 11:30 बजे (अनुमानित) – विधायक कॉलोनी के पास नवस्थापित रेस्टॉरेंट “बिग हंगर” का उद्घाटन करेंगे।
  • 🤝 12:45 बजेस्टेट गेस्ट हाउस, रायपुर में छत्तीसगढ़ शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक, सामाजिक न्याय मंत्रालय की योजनाओं की समीक्षा।
  • 📰 1:30 बजे – उसी स्थल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस
  • 🙏 शिष्टाचार भेंट (संभावित) – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह से मुलाकात।

ℹ️ रामदास आठवले: एक परिचय (Useful SEO-Pointed Info)

📌 रामदास आठवले मंत्री पद

  • केंद्रीय राज्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Modi 3.0, 2024–2029)
  • इससे पहले भी 2016 से लगातार मंत्री पद पर रहे हैं

रामदास आठवले की जाति (Caste)

  • अस्पृश्यता विरोधी कार्यकर्ता
  • जाति: महार (दलित समुदाय)
  • डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों से प्रेरित

रामदास आठवले की पार्टी (Party Name)

  • “रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले गुट)”
  • भारतीय जनता पार्टी (NDA) के सहयोगी दल

📌 रामदास आठवले पिछले कार्यकाल

  • राज्यसभा सांसद
  • 2016–2024 तक केंद्र में लगातार मंत्री
  • सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों पर कई योजनाओं में नेतृत्व

📌 रामदास आठवले मंत्री पद 2025

  • वर्तमान में 2024–29 के कार्यकाल में Modi Cabinet 3.0 के तहत मंत्री पद पर कार्यरत

👩‍👦 रामदास आठवले की पत्नी और परिवार

  • पत्नी का नाम: सीमा आठवले (Seema Athawale)
  • एक पुत्र: जीत आठवले

📘 रामदास आठवले Wikipedia (संक्षेप)

  • जन्म: 25 दिसंबर 1959
  • शिक्षा: मुंबई विश्वविद्यालय
  • प्रोफ़ेशन: राजनेता, कवि, समाजसेवी
  • प्रमुख मुद्दे: सामाजिक न्याय, दलित अधिकार, आरक्षण नीति, अंबेडकरवाद

📍 निष्कर्ष

रामदास आठवले का रायपुर दौरा सामाजिक और प्रशासनिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। संत कबीर की विरासत के प्रति सम्मान और सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा एक साथ दर्शाती है कि वे धर्म-संस्कृति और प्रशासनिक जिम्मेदारी दोनों को संतुलित रूप से निभा रहे हैं।

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