हरियाणा के सिरसा और यमुनानगर जिलों में पौराणिक सारस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को अब वैश्विक स्तर पर भी पहचान मिल रही है। हाल ही में विश्व बैंक की एक तकनीकी टीम ने इन क्षेत्रों में बनाए गए 11 रिचार्ज रिज़रवॉयर का निरीक्षण किया और अब तक की प्रगति पर संतोष जताया।
🌊 क्या है सारस्वती पुनर्भरण परियोजना?
- यह परियोजना जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, सूखे क्षेत्रों में जल उपलब्धता बढ़ाने, और पौराणिक नदी के प्रवाह को बहाल करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
- योजना के तहत नदी के प्राचीन मार्गों को वैज्ञानिक आधार पर चिह्नित कर पुनर्भरण संरचनाएं बनाई गई हैं।
🔍 विश्व बैंक ने क्या देखा और सराहा?
✅ निरीक्षण के मुख्य बिंदु:
- 11 Recharge Reservoirs का दौरा किया गया।
- भूजल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई।
- नदी प्रवाह में निरंतरता देखी गई – जो पहले मौसमी ही हुआ करता था।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई और पीने के पानी की उपलब्धता में सुधार नोट किया गया।
🌐 विश्व बैंक टीम की प्रतिक्रिया:
“हरियाणा सरकार का यह प्रयास न केवल पर्यावरणीय बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अनुकरणीय है। यह मॉडल अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है।”
🏗️ तकनीकी सहायता और कार्यान्वयन
- हरियाणा जल संसाधन विभाग ने इस परियोजना का निर्देशन किया है।
- GIS Mapping, Geophysical Survey, और Satellite Imagery के ज़रिए मार्ग चिह्नित किए गए हैं।
- स्थानीय पंचायतों व किसानों को परियोजना में भागीदार बनाया गया है।
📈 प्रभाव और संभावनाएं
🌱 पर्यावरणीय लाभ:
- सूखे इलाकों में हरियाली लौट रही है।
- गांवों के कुओं और नलकूपों में पानी की उपलब्धता बढ़ी है।
🚜 आर्थिक लाभ:
- किसानों को सिंचाई के लिए अधिक जल उपलब्ध होने लगा है।
- फसल उत्पादकता में वृद्धि देखी गई है।
🧭 भविष्य की योजना:
- अन्य जिलों में भी इसी मॉडल का विस्तार।
- विश्व बैंक से अतिरिक्त वित्तीय सहयोग की संभावना।
- “सारस्वती रिवर फ्रंट” जैसे पर्यटन आधारित प्रोजेक्ट पर विचार।