बनगांव, 11 अगस्त। पश्चिम बंगाल के बनगांव में 2002 की मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। ऑल इंडिया मतुआ महासंघ ने आरोप लगाया है कि बनगांव उत्तर के BJP विधायक अशोक कीर्तनिया के माता-पिता का नाम उस साल की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है, जबकि खुद विधायक का नाम मौजूद है।
महासंघ का कहना है कि यह गंभीर अनियमितता है और विधायक पद रद्द करने के साथ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
📌 आरोप और दस्तावेज
मतुआ महासंघ बनगांव शाखा के सचिव प्रसेनजीत विश्वास ने कहा कि 2002 की सूची में विधायक का नाम है, लेकिन माता-पिता का नहीं। 2011 की नगरपालिका सूची में उनके माता-पिता का नाम दर्ज मिला। उन्होंने सवाल उठाया—“एक बांग्लादेशी घुसपैठिया कैसे विधायक बन सकता है?”
🗣 विधायक का जवाब
अशोक कीर्तनिया ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा—
“मेरे पिता 1950 में बांग्लादेश से आए थे और सभी दस्तावेज मेरे पास हैं। माता-पिता का नाम 1993 में वोटर लिस्ट में आया था। 2002 में क्यों नहीं आया, यह उस समय के वाम नेताओं से पूछना चाहिए। यह तृणमूल की राजनीतिक साजिश है।”
⚖ राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
- तृणमूल कांग्रेस के बनगांव जिलाध्यक्ष विश्वजीत दास ने कहा कि “पहली बार देख रहा हूं कि मां-बाप से पहले बेटा वोटर बन गया हो।”
- भाजपा बनगांव जिलाध्यक्ष विकास घोष ने आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया।