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बलूच लिबरेशन आर्मी पर अमेरिका का प्रतिबंध, क्या इससे असर होगा? जानें पूरा सच!

अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी को आतंकवादी घोषित किया

क्वेटा। अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसकी मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन की सूची में शामिल किया। यह कदम अमेरिकी विदेश विभाग ने उठाया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे बलूच लिबरेशन आर्मी प्रतिबंध पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रतिबंध का वास्तविक असर क्या होगा?

बीएलए का संचालन और धनराशि अमेरिकी प्रतिबंधों से दूर अवैध नेटवर्क से जुड़ी है। यह समूह औपचारिक बैंकिंग चैनलों या पश्चिमी देशों से वित्तपोषण प्राप्त नहीं करता। इसलिए यह प्रतिबंध प्रतीकात्मक ही माना जा रहा है। बीएलए के खिलाफ पहले भी अमेरिका (2019) और ब्रिटेन (2006) ने प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन इससे उसकी ताकत कम नहीं हुई।

राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ

यह कदम वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बेहतर संबंधों के बीच आया है। हाल ही में दोनों देशों ने तेल भंडार विकास और व्यापार समझौतों पर चर्चा की है। कई विश्लेषक इसे राजनीतिक कूटनीति का हिस्सा मानते हैं, जो तनाव कम करने और आपसी सहयोग बढ़ाने की कोशिश है।

बीएलए का संघर्ष जारी रहेगा

बलूचिस्तान के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में जारी संघर्ष जमीन और संसाधनों के लिए है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, यह लड़ाई और गहरी होती जा रही है। बीएलए की जनशक्ति और संसाधनों पर कोई खास असर पड़ने की संभावना कम है।

निष्कर्ष

बलूच लिबरेशन आर्मी प्रतिबंध का असली असर सीमित रहेगा। यह सिर्फ एक राजनीतिक कदम है जो कूटनीति और क्षेत्रीय हितों के लिहाज से उठाया गया है। असली मुकाबला पाकिस्तान के भीतर जमीन पर ही होगा।

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