डोल ग्यारस का महत्व
भोपाल, 3 सितंबर (हि.स.)। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी या डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन हुआ था। इसे परिवर्तनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु शयनावस्था में करवट बदलते हैं।
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा— “मोक्षदायिनी जलझूलनी एकादशी (डोल ग्यारस) पर्व की सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई। भगवान श्रीहरि विष्णु से प्रार्थना है कि सभी पर सुख-समृद्धि और आरोग्यता बनी रहे।”
व्रत और पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में वर्षभर आने वाली सभी एकादशियों का विशेष महत्व होता है। लेकिन भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी को अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।
शुभ मुहूर्त
- तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर 2025, सुबह 03:53 बजे
- तिथि समाप्त: 4 सितंबर 2025, सुबह 04:21 बजे
- लाभ चौघड़िया: सुबह 06:00 से 07:35 बजे
- अमृत चौघड़िया: सुबह 07:35 से 09:10 बजे
- शुभ चौघड़िया: सुबह 10:45 से दोपहर 12:20 बजे
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:40 से 07:03 बजे
- अमृत काल: शाम 06:05 से 07:46 बजे