वाराणसी में पितृपक्ष की प्रतिपदा पर श्रद्धालुओं की भीड़
वाराणसी: भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। सोमवार को प्रतिपदा श्राद्ध के अवसर पर लोगों ने गंगा तट और अनादि विमल तीर्थ पिशाचमोचन कुंड पर अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंडदान किया।
तर्पण और त्रिपिंडी श्राद्ध की विधि
जिनके पूर्वजों की अकाल मृत्यु हुई, उन्होंने कर्मकांडी ब्राह्मणों से त्रिपिंडी श्राद्ध कराया। श्राद्धकर्म सुबह से ही शुरू हो गया और गंगा तट तथा पिशाचमोचन कुंड पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ देखी गई। माना जाता है कि तर्पण और श्राद्ध कर्म से पितृदोष दूर होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
कर्मकांडी पं. श्रीकांत मिश्र और प्रदीप पांडेय के अनुसार, तीन पीढ़ियों तक के पिता-पक्ष और माता-पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के बाद स्व.पितृ तर्पण किया जाता है। श्राद्ध करने से परिवार में सुख, शांति और वंश वृद्धि होती है।
तर्पण का तरीका
हाथ में जल और काला तिल लेकर अंगूठे और तर्जनी के मध्य से उसे गिराते हुए “ओम पितृभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधा नम:” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। पिता, पितामह, मातापक्ष के पूर्वजों का तर्पण श्रद्धा भाव से करना चाहिए।
श्राद्धपक्ष की अवधि
श्राद्धपक्ष का यह पखवाड़ा भाद्रपद पूर्णिमा से 21 सितंबर तक चलता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने पूर्वजों के पुण्यतिथियों पर तर्पण और श्राद्ध करते हैं।