दवा कंपनियों पर ट्रंप प्रशासन का बड़ा एक्शन
अमेरिका में पहली बार ट्रंप प्रशासन ने दवा कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संबंध में एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
पारदर्शिता पर जोर
अमेरिका और न्यूज़ीलैंड ही ऐसे देश हैं जहां सीधे उपभोक्ताओं तक दवाओं के विज्ञापन पहुंचते हैं। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि इन विज्ञापनों में जोखिम और दुष्प्रभावों की जानकारी साफ तौर पर दी जाए। इसी को लेकर कंपनियों को हर दिन चेतावनी पत्र भेजे जाएंगे।
सोशल मीडिया पर फोकस
अधिकारियों ने बताया कि इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसी सोशल मीडिया साइटों पर दवाओं के भ्रामक विज्ञापन बढ़ गए हैं। कई बार दवाओं के जोखिमों का जिक्र बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। 2015 की एक स्टडी के मुताबिक, केवल एक-तिहाई पोस्ट में ही दुष्प्रभावों का जिक्र था।
मरीजों को अधूरी जानकारी
विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाली जानकारी डॉक्टर से बातचीत में मिलने वाली जानकारी से कमतर है। ऐसे अधूरे और भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ताओं के लिए खतरा बन सकते हैं।
निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का लक्ष्य
अधिकारियों का कहना है कि नए नियमों से दवा कंपनियों को समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा। इससे सोशल मीडिया पर फैली अराजकता भी कम होगी। इसे राष्ट्रपति ट्रंप का अब तक का सबसे साहसिक कदम बताया जा रहा है।
टीवी विज्ञापनों पर बहस
हालांकि, स्वास्थ्य और मानव सेवा सचिव रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने पहले वादा किया था कि टीवी पर दवा विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगाई जाएगी। फिलहाल, ट्रंप प्रशासन ने पहला कदम भ्रामक विज्ञापन रोकने के लिए उठाया है