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सीपी राधाकृष्णन: छात्र आंदोलन से उपराष्ट्रपति तक प्रेरक यात्रा

सीपी राधाकृष्णन की प्रेरक यात्रा
सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई। छात्र आंदोलन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव और 19,000 किमी लंबी रथ यात्रा उनके व्यक्तित्व की झलक देती हैं।

शुरुआती जीवन और शिक्षा
20 अक्टूबर, 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पूर में जन्मे सीपी राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से हैं। उन्होंने वीओ चिदंबरम कॉलेज से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री प्राप्त की। कॉलेज में वे टेनिस चैंपियन रहे और क्रिकेट व दौड़ में भी सक्रिय रहे।

आरएसएस और राजनीति में प्रवेश
16 साल की उम्र से उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ से जुड़ाव शुरू किया। 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। इसके बाद सक्रिय राजनीति में आए और तमिलनाडु भाजपा के सचिव, कोयंबटूर से सांसद चुने गए।

19,000 किमी लंबी रथ यात्रा
2007 में सीपी राधाकृष्णन ने समान नागरिक संहिता, आतंकवाद उन्मूलन और मादक पदार्थों से निपटने के मुद्दों पर 93 दिनों में 19,000 किमी लंबी रथ यात्रा पूरी की। दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में उनका योगदान अहम रहा।

राज्यपाल के रूप में सेवाएं
उपराष्ट्रपति बनने से पहले वे महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रहे। तेलंगाना और पुडुचेरी के अतिरिक्त कार्यभार भी उन्होंने संभाले। 2016–2019 तक एमएसएमई अधीन अखिल भारतीय कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।

सीपी राधाकृष्णन का संदेश
सीपी राधाकृष्णन की यात्रा प्रेरक है। छात्र जीवन से लेकर उपराष्ट्रपति पद तक उनका सफर बताता है कि सच्ची निष्ठा, मेहनत और सेवा भाव सफलता की कुंजी हैं।

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