आश्विन संक्रांति 2025 का महत्व
सनातन धर्म में आश्विन संक्रांति का खास स्थान है। इस वर्ष यह 16 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इसे कन्या संक्रांति भी कहा जाता है।
पुण्यकाल और परंपरा
संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 8:11 बजे तक रहेगा। इस दौरान स्नान, दान और सूर्योपासना का महत्व बताया गया है। आचार्यों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान, ब्राह्मण भोजन और सात्विक आहार शुभ माना गया है।
धार्मिक और सामाजिक दृष्टि
आश्विन संक्रांति केवल ज्योतिषीय नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन सात्विक भोजन, सत्यनारायण पूजा और सूर्य को अर्घ्य देना सकारात्मक ऊर्जा देता है।
राशि अनुसार दान
- मेष: गुड़, दही, तांबा
- वृषभ: सफेद कपड़ा, चांदी, तिल
- मिथुन: मूंग दाल, पीला वस्त्र, कंबल
- कर्क: चांदी, सफेद वस्त्र, तिल
- सिंह: गेहूँ, सोना, तांबा
- कन्या: हरे वस्त्र, चावल, हरे मूंग
- तुला: कंबल, गुड़, सात अनाज
- वृश्चिक: लाल वस्त्र, दही, तिल
- धनु: पीला वस्त्र, चावल, गुड़
- मकर: तिल, चावल, कंबल
- कुंभ: काला कपड़ा, उड़द, घी
- मीन: रेशमी वस्त्र, दाल, चावल
क्या करें और क्या न करें
संक्रांति पर नशे और तामसिक भोजन से बचना चाहिए। सात्विक आहार ग्रहण करें, सूर्योपासना करें और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।