हिन्दी अपनाना भारत की समझ के लिए आवश्यक
सुलतानपुर के राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को हिन्दी सप्ताह के अंतर्गत संगोष्ठी आयोजित की गई। इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि हिन्दी को केवल कागजी तौर पर नहीं, बल्कि पूरी तरह राजकीय दर्जा मिलना चाहिए।
भाषा और संस्कृति का संबंध
प्रो. कुमार ने बताया कि हिन्दी का प्रयोग केवल औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि सहज और स्वतंत्र भाषा के रूप में होना चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत के मन को समझना हो तो हमें हिन्दी को अपनाना पड़ेगा। जिस भाषा को बोलने और समझने वाले कम हों, उसमें राजकाज करना न्यायोचित नहीं है।”
हिन्दी: वैश्विक पहचान और रोजगार की भाषा
मुख्य वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि हिन्दी अब विश्व भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। सोशल मीडिया और आधुनिक ज्ञान विज्ञान में हिन्दी की भूमिका बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हिन्दी कमजोर होगी, तो हमारी संस्कृति और संस्कार भी कमजोर होंगे।
जीवन मूल्य और चेतना से जुड़ी भाषा
विशिष्ट वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विभा सिंह ने बताया कि हिन्दी जीवन मूल्य सिखाने वाली और लोगों को जोड़ने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी में काम कर के हम अपनी वैश्विक पहचान बना सकते हैं।
छात्र-छात्राओं की भागीदारी
इस अवसर पर बीए और एमए के छात्रों ने संगोष्ठी में सक्रिय भाग लिया। कार्यक्रम में साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित की गईं, जिससे छात्रों में हिन्दी के प्रति जागरूकता बढ़ी।