सीतापुर, 18 सितंबर। अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करने वाले बायोगैस संयंत्र के आविष्कारक डॉ. राम बक्श सिंह को उनकी जन्मस्थली सीतापुर में श्रद्धांजलि दी गई। गुरुवार को डॉ. राम बक्श सिंह कन्या इंटर कॉलेज में उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सांसद राकेश राठौर समेत कई लोगों ने उन्हें नमन किया और उनके योगदान को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग उठाई।
पहला बायोगैस संयंत्र बना था सीतापुर में
13 अगस्त 1925 को सीतापुर जिले के एलिया ब्लॉक के ग्राम रामनगर में जन्मे डॉ. सिंह ने 9 सितम्बर 1957 को दुनिया का पहला गोबर आधारित बायोगैस संयंत्र स्थापित किया। इसका उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एस.के. डे और मुख्य सचिव गोविंद नारायण ने किया था। इस शोध ने न केवल ग्रामीण भारत बल्कि पूरी दुनिया में ऊर्जा के नए आयाम खोले।
वैश्विक पहचान मिली
डॉ. सिंह के शोध के बाद बायोगैस संयंत्र तकनीक ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई। उनके मार्गदर्शन में 15 से अधिक देशों में 1000 से ज्यादा संयंत्र स्थापित हुए। संयुक्त राष्ट्र ने भी उन्हें तीन बार बायोगैस सलाहकार प्रतिनिधि के रूप में नामित किया। उनकी तकनीक ने न केवल सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराई बल्कि जैविक खाद उत्पादन की दिशा में भी बड़ा योगदान दिया।
सांसद की पहल पर डाक टिकट
डॉ. सिंह की स्मृति में भारत सरकार ने उनके 100वें जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष स्मारक डाक टिकट जारी करने की स्वीकृति दी है। यह पहल धौरहरा सांसद आनंद भदौरिया के प्रयासों से संभव हुई।
श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि डॉ. सिंह का योगदान केवल सीतापुर या भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया में अक्षय ऊर्जा की दिशा में एक नई क्रांति की नींव रखी।