हाईकोर्ट का आदेश – आपसी सहमति से विवाद सुलझे
भोपाल, 19 सितंबर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया परिवार से जुड़ा 40,000 करोड़ रुपये का संपत्ति विवाद अब समाधान की ओर बढ़ता दिख रहा है। ग्वालियर खंडपीठ ने शुक्रवार को आदेश दिया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीन बुआएं — वसुंधरा राजे, यशोधरा राजे और ऊषा राजे — आपसी सहमति से विवाद को निपटाएं।
अदालत ने सभी पक्षकारों को 60 दिन के भीतर राजीनामे का आवेदन दाखिल करने और 90 दिन में विवाद सुलझाने का निर्देश दिया है। यदि समाधान नहीं होता है तो कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि याचिका फिर से बहाल कर दी जाएगी।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह विवाद महाराज जीवाजीराव सिंधिया की 1961 में हुई मृत्यु के बाद शुरू हुआ। वसीयत न होने के कारण संपत्ति का बंटवारा स्पष्ट नहीं हो सका। बाद में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद मामला और जटिल हो गया। वर्ष 2010 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की बेटियों ने अदालत में दावा किया कि पैतृक संपत्ति में बेटियों का भी अधिकार है।
28 पक्षकार और 13 ट्रस्ट शामिल
संपत्ति विवाद में कुल 28 पक्षकार बनाए गए हैं, जिनमें सिंधिया परिवार के 13 ट्रस्ट शामिल हैं। इनमें जयविलास ट्रस्ट, सिंधिया पार्टीज एंड सर्विसेज, कृष्णाराम और बलदेव इन्वेस्टमेंट कंपनी प्रमुख हैं।
40,000 करोड़ की संपत्ति में क्या-क्या शामिल
- ग्वालियर का जयविलास पैलेस (10,000 करोड़ रुपये अनुमानित मूल्य)
- शिवपुरी का माधव विलास पैलेस, हैप्पी विलास और जॉर्ज कैसल
- उज्जैन का कालियादेह पैलेस
- दिल्ली का ग्वालियर हाउस और अन्य संपत्तियां
- पुणे, वाराणसी और गोवा की कई ऐतिहासिक संपत्तियां
निष्कर्ष
हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि लंबे समय से चल रहे सिंधिया परिवार के इस विवाद का अब जल्द समाधान निकल सकता है।