बेंगलुरु (कर्नाटक), 22 सितंबर (हि.स.) – कर्नाटक राज्य में आज से सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण, जिसे जाति जनगणना कहा जाता है, शुरू हो गई है। राज्य का पिछड़ा वर्ग आयोग 7 करोड़ लोगों के घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेगा।
तैयारियां और तैनाती
- जाति जनगणना के लिए 1.75 लाख शिक्षकों को तैनात किया गया है।
- सभी गणनाकारों को अग्रिम तैयारियों और प्रशिक्षण के साथ 60 प्रश्नों के माध्यम से जानकारी दर्ज करने के लिए तैयार किया गया है।
- लोग चाहें तो अपना धर्म और जाति विवरण स्वयं भी दर्ज कर सकते हैं।
विवाद और सूची में संशोधन
- ईसाई उपजातियों के नाम दर्ज करने के मामले में आयोग ने 33 उपजातियों को सूची से हटा दिया है, जिससे राजनीतिक और प्रशासनिक जटिलताएं दूर की गई हैं।
- बेंगलुरु शहर में तैयारी और प्रशिक्षण में देरी के कारण सर्वेक्षण 2-3 दिन देरी से शुरू होगा।
कानूनी प्रक्रिया
- उच्च न्यायालय आज जाति जनगणना को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
- अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की जनहित याचिका और अन्य याचिकाओं पर भी विचार किए जाने की संभावना है।
महत्व
जाति जनगणना राज्य के सामाजिक और शैक्षणिक नीतियों के लिए अहम भूमिका निभाएगी। इससे विभिन्न वर्गों की स्थिति और विकास दर का सटीक आंकलन संभव होगा।