शारदीय नवरात्र: दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी माता के दरबार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
वाराणसी, उत्तर प्रदेश। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार को आदि शक्ति के दूसरे स्वरूप, तप, त्याग, संयम और सदाचार की देवी मां ब्रह्मचारिणी के दरबार में श्रद्धालुओं का उत्सवपूर्ण रेला उमड़ पड़ा। ब्रह्माघाट स्थित देवी के भव्य मंदिर में भक्त सुबह से ही दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे।
मंदिर में घंटियों की मधुर ध्वनि, धूप, अगरबत्ती और लोहबान के धुएँ से पूरा वातावरण देवीमय नजर आ रहा था। भक्त माता ब्रह्मचारिणी के दर्शन कर अपने घर, परिवार, समाज और देश में सुख-शांति की कामना कर रहे थे।
ब्रह्मचारिणी माता की विशेषताएँ और मंत्र
शास्त्रों में ब्रह्मचारिणी माता को त्याग और संयम की देवी कहा गया है। उनका दाहिना हाथ अक्षमाला और बायां कमंडल धारण किए हुए है। माता की पूजा करने से व्यक्ति को तप, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है। भक्त आज इस मंत्र का जाप कर अपने कार्यों में सफलता सुनिश्चित कर सकते हैं:
‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।’
वाराणसी में अन्य पूजा स्थल
नवरात्र के दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने कुष्माण्डा देवी, चौसट्टी देवी, महिषासुर मर्दिनी मंदिर, काशी विश्वनाथ परिसर की अन्नपूर्णा देवी, संकठा और कामाख्या मंदिरों में भी हाजिरी लगाई। तीसरे दिन (तृतीया) को चन्द्रघण्टा माता की पूजा होती है, जिसे नरक से मुक्ति और सुख, समृद्धि और विद्या की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है।
वाराणसी में नवरात्र का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है, जिसमें भक्त माता के विविध रूपों की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।